कुछ छोटे सपनो हिंदी कविता
कुछ छोटे सपनो के बदले , बड़ी नींद का सौदा करने ,
निकल पडे हैं पांव अभागे ,जाने कौन डगर ठहरेंगे !
वही प्यास के अनगढ़ मोती ,वही धूप की सुर्ख कहानी ,
वही आंख में घुटकर मरती ,आंसू की खुद्दार जवानी ,
... हर मोहरे की मूक विवशता ,चौसर के खाने क्या जाने
हार जीत तय करती है वे , आज कौन से घर ठहरेंगे....!
निकल पडे हैं पांव अभागे ,जाने कौन डगर ठहरेंगे !
कुछ पलकों में बंद चांदनी ,कुछ होठों में कैद तराने ,
मंजिल के गुमनाम भरोसे ,सपनो के लाचार बहाने ,
जिनकी जिद के आगे सूरज, मोरपंख से छाया मांगे ,
उन के भी दुर्दम्य इरादे , वीणा के स्वर पर ठहरेंगे .
निकल पडे हैं पांव अभागे ,जाने कौन डगर ठहरेंगे .....!!
निकल पडे हैं पांव अभागे ,जाने कौन डगर ठहरेंगे !
वही प्यास के अनगढ़ मोती ,वही धूप की सुर्ख कहानी ,
वही आंख में घुटकर मरती ,आंसू की खुद्दार जवानी ,
... हर मोहरे की मूक विवशता ,चौसर के खाने क्या जाने
हार जीत तय करती है वे , आज कौन से घर ठहरेंगे....!
निकल पडे हैं पांव अभागे ,जाने कौन डगर ठहरेंगे !
कुछ पलकों में बंद चांदनी ,कुछ होठों में कैद तराने ,
मंजिल के गुमनाम भरोसे ,सपनो के लाचार बहाने ,
जिनकी जिद के आगे सूरज, मोरपंख से छाया मांगे ,
उन के भी दुर्दम्य इरादे , वीणा के स्वर पर ठहरेंगे .
निकल पडे हैं पांव अभागे ,जाने कौन डगर ठहरेंगे .....!!
Comments
Post a Comment