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दर्जी की सीख-inspirational story

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एक दिन स्कूल में छुट्टी की घोषणा होने के कारण, एक दर्जी का बेटा, अपने पापा की दुकान दर्जी की सीख पर चला गया ।वहाँ जाकर वह बड़े ध्यान से अपने पापा को काम करते हुए देखने लगा । उसने देखा कि उसके पापा कैंची से कपड़े को काटते हैं और कैंची को पैर के पास टांग से दबा कर रख देते हैं । फिर सुई से उसको सीते हैं और सीने के बाद सु ई को अपनी टोपी पर लगा लेते हैं । जब उसने इसी क्रिया को चार-पाँच बार देखा तो उससे रहा नहीं गया, तो उसने अपने पापा से कहा कि वह एक बात उनसे पूछना चाहता है ? पापा ने कहा- बेटा बोलो क्या पूछना चाहते हो ? बेटा बोला- पापा मैं बड़ी देर से आपको देख रहा हूं , आप जब भी कपड़ा काटते हैं, उसके बाद कैंची को पैर के नीचे दबा देते हैं, और सुई से कपड़ा सीने के बाद, उसे टोपी पर लगा लेते हैं, ऐसा क्यों ? इसका जो उत्तर पापा ने दिया- उन दो पंक्तियाँ में मानों उसने ज़िन्दगी का सार समझा दिया । उत्तर था- ” बेटा, कैंची काटने का काम करती है, और सुई जोड़ने का काम करती है, और काटने वाले की जगह हमेशा नीची होती है परन्तु जोड़ने वाले की जगह हमेशा ऊपर होती है । यही कारण है कि मैं सुई को टोपी पर...

छाले अब नहीं - हिंदी कहानी

   छाले अब नहीं                                                                                                                                                                                                      दीपू के मुँह में फिर छाले निकल आए थे। तीन दिन से वह ढंग से खाना भी नहीं खा पा रहा। डॉक्टर के पास जाने से अब उसे डर लगता है।   पहले जब छाले होते थे तो डॉक्टर खाने की गोलियाँ लिख देते थे। बी-कॉम्पलैक्स की उन गोलियों से उसके छाले ठीक भी हो जाते थे। गोलियों से जब कोई ...

भारत एक कृषि प्रधान देश है

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हम सभी जानते है कि भारत एक कृषि प्रधान देश है परन्तु आजादी के इतने सालों बाद पहली बार किसी किसान ने देश की राजधनी में अपने आप कों फासी लगा ली . और उसकी मौत हो गयी , और सब देखते रहे ये सब . और राजनीतिज्ञ अपने - अपने भाषण देते रहे .पर क्या अब वह लौट आएगा . आखिर कब तक हम यू ही देखते रहेगे .ये किसान हमें खाने के लिए अन्न देते हैं . हम इंसान हैं हमारे अंदर मानवता होती है जो हमें सीखती है कि हमे एक दूसरे मदद करनी चाहिए . परन्तु ये राजनीतिज्ञ लोग तरह तरह के बिल तो कभी मोसम की तखलीफ़ किसान कों हमेशां ही परेशां करती रहती है .कभी ज़मीन चकबन्दी में रिश्वतखोरी ,कभी उनकी (किसानो) कि बर्बाद फसल का सही मुआवजा नहीं मिलना . ये राजनीतिज्ञ लोग क्यों भूल जाते है कि भारत एक कृषि प्रधान देश है फिर भी एक किसान कि ये हालत ,शर्म आणि चाहिए . पर हमें क्या किसान रोज मरता है पर हमें क्या ,अखबार पड़ते है ,खाना खाते है ,जो मरते है मरने दो ,पर एसे काम नहीं चलेगा , पहल हमें करने होगी ,मेरा सभी से निवेदन है कि आप अपनी आवाज सरकार तक पहुच्ये . आप सभी अपने अपने सुझाव सरकार तक पहुच्ये ,५० पैसे का पोस्टकार्ड से...

धर्मपरि‍वर्तन माने भलाई की सप्‍लाई

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कार्टून:-बाबुओं के लि‍ए भलाई की सप्‍लाई

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Hope - A poem

Hope is a flower fragrant That blossoms Waits and then withers It may even be crushed Under the feet. Hope is the name of tomorrow That comes But the day may be frosty with clouds Obstructing the light of the sun. Hope is a bird That sings And suddenly stops On account of some fear Only the birds knows. It is also a candle Giving light in the dark  But if the wax is poor  Or a gust of wind comes The candle may go.

पिंकी के नखरे

                                                                 एक लड़की थी । उसका नाम पिंकी था । वह बहुत जिद्दी हो गई थी । मम्मी जब भी कहीं बाहर जातीं तो वह कपड़े पहनने में बहुत रोती थी ।मम्मी पहनने को जो भी कपड़े निकालतीं वह उन्हें उठा कर दूर फेंक देती थी। यह ड्रेस नहीं पहननी, इसमें बटन हैं मुझे बटन वाले कपड़े अच्छे नहीं लगते ।....मुझे यह कलर पसन्द नहीं है, यह भी अच्छी नहीं है ,वह भी अच्छी नहीं है।अब पिंकी की  मम्मी ने नए नए कपड़े लाने बन्द कर दिए क्यों कि पिंकी को कोई भी पसन्द नहीं आते थे । एक दिन पिंकी ने कहा -" मम्मी आज मेरी  फ्रेण्ड नीलू की बर्थ डे हैं ,शाम को वहाँ जाना है।'             शाम को मम्मी ने बहुत सुन्दर फ्राक निकाल कर पहनने को दी पर फ्राक देख कर पिंकी ने उसे हटा दिया। मुझे यह नहीं पहननी। मम्मी ने तीन ड्रेस और निकाल कर दी औ...