हिंदी की लघु कहानियाँ



Stories in hindi

Moral stories in hindi







कल और आज Motivational story in Hindi for Success

"अन्ना कल तक तो इस ड्राइंग रूम में आपके, मंत्री जी के साथ बड़े-बड़े फोटो, फ्रेम किये हुए लटके   थे.....आज सब कहाँ गये ?'
- "तुम्हें नही मालुम ? मंत्री जी एक बहुत बड़े घुटाले में फँस गये हैं। उन्हें दूसरे राज्य की पुलिस   पकड़ कर ले गयी है।जिस मंत्री से निकटता दिखा कर लोग पुलिस पर रौब मारते थे वही मंत्री जी स्वंय  को पुलिस से नही बचा पाये...पुलिस वाले उन के  साथ मेरा फोटो देख कर मुझे भी उनका सहयोगी न  समझ लें इसी लिये सब फोटो हटा दिये हैं।'



फिजूलखर्ची - Motivation short story in Hindi


कुछ दिन के लिये बेटे के पास रहने आये पिता ने सुबह उठते ही न्यूज पेपर्स और इंगलिश मैगजीन्स के बीच कुछ ढ़ूंढ़ते हुए पुत्र से पूछा--"तुम कोई हिन्दी का समाचार पत्र नहीं लेते ?'
"अरे पापा हिन्दी से कब किस का भला होंने वाला है ? जिन्दगी में कुछ बनने के लिये इंगलिश जरूरी है फिर घर में दो इंगलिश के पेपर आते ही हैं, साथ में एक हिन्दी पेपर भी लेना क्या फिजूल खर्ची नहीं होगा ?'
"बेटा कैरियर के हिसाब से तुम्हारी बात सही हो सकती है किन्तु हिन्दी पढ़ना या जानना कैरियर में बाधक तो नहीं हैं ।..यदि हम हिन्दी भाषी ही अपनी भाषा की इस तरह उपेक्षा करेंगे तो हमारे बच्चे अपनी भाषा पढ़ना ही नहीं बोलना व समझना भी भूल जायेगे...रही बात फिजूलखर्ची की तो बेटा एक - दो  पीजा की कीमत में एक महीने का समाचार पत्र तो आ ही जाता है।'
"हाँ पापा आप ठीक कह रहे हैं,आगे से घर में एक हिन्दी का पेपर जरूर आयेगा ।'



प्राणी रक्षक -  Motivational story


सपेरा रामू लुटा पिटा सा घर पहुँचा ।उसे देखते ही उसका बेटा चहका - "अरे बाबा आज तो नाग पंचमी हैं खूब कमाई हुई होगी ...आज तो पेट भर अच्छा खाना मिलेगा न ?'
सपेरा चुप रहा ।
"बाबा आप चुप क्यों हैं ? ...साँप की पिटारी भी आपके हाथ में नहीं है,क्या हुआ बाबा ?'
"आज का दिन बहुत खराब गया बेटा ।साँप की पिटारी प्राणी रक्षक समिति के सदस्यों ने छीन ली ।'
"क्यों बाबा ....वो उसका क्या करेंगे ?'
"वो सांपों को जंगल में ले जा कर छोड़ देंगे ।वो कह रहे थे हम अपने धंधे के लिये सांपों को कष्ट देते हैं, जो गलत है ।'
"उनकी यह बात तो गलत है बाबा।आपने उनसे कहा नहीं कि जानवरों पर इतनी दया आती है तो बकरीद पर कटने वाले उन लाखों निरीह बकरों को कटने से रोक कर दिखायें जिन्हें उस दिन काटा जाता है ।...सांप तो फिर भी काट कर आदमी की जान ले लेता है पर ये बकरे तो ..।'
"क्या कहता बेटा उन्हों ने कुछ बोलने ही नहीं दिया वो तो पुलिस बुलाने की धमकी दे रहे थे "


सौतेला व्यवहार - Hindi short motivational story



बार बालायें आक्रोश में थीं---" हम बार में डांस करते हैं तो क्या गलत करतें हैं ?'
"डाँस करना गलत नहीं हैं,अश्लील हरकतो कें साथ डांस करना गलत हैं।.. आप लोगों पर यह भी आरोप है कि आप सब बहुत कम कपड़ों में डांस करती हैं।''
"पत्रकार बाबू यह आरोप हरेक के लिये सही नही है,हाँ कुछ ऐसा भी करती होंगी पर हमारे दर्शक आम आदमी नहीं हैं,न हम पब्लिक प्लेसेज में ऐसा करते हैं ।एक बार में  बन्द जगह में लिमिटेड लोगों के बीच हम नाचते हैं और हमारे दर्शक सब एडल्ट होते हैं बच्चे नहीं...''
"देखिये गलत तो गलत हैं..'
"पहले मुझे बात तो खत्म करने दीजिये, ठीक है हम जो करते हैं वह सही नहीं है किन्तु टीवी पर खुले आम जो वीडियो एलबम दिखाये जा रहे हैं उनकी बालायें वस्त्रों में, हरकतों में हम से कहाँ कम हैं ? ....क्या मैं गलत कह रही हूँ ? '
"नहीं आप की बात भी गलत नहीं है ।'
दूसरी बार बाला ने कहा--"फिल्मों में जो बैडरूम सीन दिये जा रहे हैं या जो डांस परोसे जा रहे हैं, वह पूरे देश में बच्चें बूढ़े सभी देख रहे हैं ।सच कहें तो अपने परिवार के साथ उन दृश्यों को देखते हुए हम भी शर्म से पानी पानी हो जाते हैं । उन्हें रोक कर दिखायें... पर उन पर कोई प्रतिबन्ध नहीं है, बस बार बालाओं के पीछे पड़े हैं।हमारी रोजी रोटी छीन रहे हैं...कुछ को वैश्या वृत्ति की ओर धकेल रहे हैं ...क्या यह सौतेला व्यवहार नहीं है ?"



खतरा - Motivational story in hindi



दहेज में कार ले कर आई पत्नी ने अपने पति से कहा "सुनो हम भी  एक ड्राइवर रखलें ?'
"तुम्हारे घर में कई कारें थीं,तुमने कार चलाना क्यों नही सीखा ?'
"कई कारें थीं तो कई ड्राइवर भी तो थे...कार चलाना सीखने की कभी जरूरत ही महसूस नही हुई...फिर भी मैं ने सीखनी चाही थी  पर पापा मम्मी ने नहीं सीखने दी ."
क्यों ?
"भाई ने सीखी थी। एक बार उसका एक्सीडेंट हो गया ...ये समझो कि वह मरते मरते बचा था,     बस  तब से उस की ड्राइविंग पर भी पाबंदी  लगा दी गई थी और मुझे भी सिखाने से मना कर दिया  गया  ।'
"एक्सीडेंट क्या ड्राइवर से नही हो सकता ?'
"हो तो सकता है किन्तु खतरा  अक्सर आगे बैठने वाले को ही होता है,हाथ-पैर टूटेंगे या मरेगा तो ड्राइवर  मरेगा ।'



शुभ दिन - Motivational story in hindi for students



रमेश आज फिर नौकरी के लिए साक्षात्कार देने जा रहा था, लेकिन उसके मन में कोई उत्साह नहीं था। साक्षात्कार देने का सिलसिला तो पिछले एक वर्ष से चल रहा है। हर जगह सर्वप्रथम यही पूछा जाता है कि काम करने का अनुभव कितना है। जब कहीं काम मिलेगा तभी तो अनुभव होगा न ।
उसके जाने से पहले ही मां ने मंदिर का प्रसाद देते हुए कहा, "बेटा पंडित जी कह रहे हैं आज का दिन तुम्हारे लिए बहुत शुभ है।...वे तुम्हारे लिये विशेष रूप से जाप कर रहे हैं...तुम्हें ये नौकरी मिल जाएगी।'
उसने बहुत श्रद्धापूर्वक प्रसाद खाया और साक्षात्कार के लिए चला गया।
वह बहुत उत्साहित होकर लौटा था -- "मां मुझे नौकरी मिल गई है। कल से काम पर जाना है। प्राइवेट कंपनी है।  उसके एम.डी. ने कहा है -- 'हम एक्सपीरियेंस को उतना महत्व नहीं देते। हमें हमेशा सिन्सीयर, पंक्चुअल, हार्डवर्कर व्यक्ति की तलाश रहती है। यदि तुम हमारी इन एक्सपेक्टेशन्स पर खरे उतरे तो जल्दी ही तुम्हें प्रमोशन भी दे दिया जाएगा।'
नौकरी का समाचार सुनते ही मां खुश हो गई। उसी समय दौड़ी-दौड़ी मिठाई लेकर पंडित जी के पास गई। पंडित जी ने पत्री देख कर कहा, "कल-परसों दो दिन शुभ नहीं हैं...तीसरा दिन बहुत शुभ है। बच्चे को उसी दिन काम पर भेजना।'
तीसरे दिन टिफिन लेकर रमेश काम पर गया और जल्दी ही लौट आया।
चौंक कर मां ने पूछा- "रमेश इतनी जल्दी क्यों लौट आया ?'
मुंह लटकाए हुए रमेश ने कहा, "दो दिन बाद गया था न, उन्होंने दूसरा रख लिया ।.



समाज सेवा - Short motivational story in hindi



सुधा ने अपने पति से कहा"--" देखना इस अखवार में मैडम का फोटो क्यों छपा है ?'
"तुम जानती हो इन मैडम को ?'
"हाँ इन के सिलाई कढ़ाई सेंन्टर पर ही तो मैं काम करती थी।'
"अच्छा तो वो यही मैडम हैं।..इन्हों ने समाज में गरीब महिलाओं की स्थिति सुधारने के लिए के लिए  बहुत काम किया है ,इस  लिए उनका सम्मान किया गया है।'
"जरा पढ़ कर तो बताना  कि इन्हों ने महिलाओं के लिए ऐसा क्या किया है जिसकी वजह से उनका  सम्मान किया गया है और वो समाचार फोटो के साथ अखवार में छपा है।'
"इस में लिखा है गरीब महिलाओं को रोजगार देने के लिए इन्हों ने शहर में सब से पहला सिलाई  कढ़ाई सेन्टर खोला था।'
"हाँ सेन्टर तो इन्होंने खोला था और बहुत सी महिलाएं उस में काम भी करती थीं पर उनका उद्देश्य  महिलाओं की हालत सुधारना या उन्हें रोजगार देना नहीं था ।''
"तो  उनका उद्देश्य क्या था ?''
" उनका उद्देश्य था पैसा कमाना ।हम सब से सस्ते दामों पर कढ़ाई करा कर उन्हें ऊँचे दामों पर  बेचना । ... यह मैडम खूब मुनाफा कमाती थीं ।''
"सभी ऐसा करते हैं.. इसमें बुरा क्या है ?''
-"मुनाफा कमाना बुरी बात नहीं हैं...व्यापार में सभी  कमाते हैं पर उस को समाज सेवा  के रूप  में  भुनाना बेइमानी है।...ऐसे तो फिर हर व्यापारी  समाज सेवी है क्यों कि व्यापार चलाने के लिए उसे  नौकर तो रखने ही पड़ते हैं ।''

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अनुमान- Short motivational story in hindi



बिग बाजार में प्रवेश करते ही  वर्मा जी की नजर अपने परिचित राम बाबू पर पड़ी तो वह खुश होते हुए उनके पास पहुँच गये ---"नमस्ते राम बाबू ,अकेले अकेले क्या शोपिंग हो रही है ?'
"नमस्ते,नमस्ते वर्मा जी , असल में हम दोनों एक सप्ताह बाद तीन महिने के लिए बेटे के पास अमेरिका जा रहे हैं,बस उसी की कुछ तैयारी चल रही हैं ?'
"अच्छा तो आप दादा बनने वाले हैं ?'
चौंकते हुए राम बाबू बोले -"हाँ, पर आपको कैसे पता ?'
वर्मा जी के मुँह से निकलने को था कि अक्सर ऐसा ही होता है किन्तु अपने को संभालते हुए बोले   --"बस ऐसे ही"आपके चेहरे पर बिखरी खुशी देख कर अनुमान लगाया था पर मेरा अनुमान तो सही निकला ।.. एडवान्स  में मेरी बधाई स्वीकार करिये ।'



हक- Short hindi motivational story



बेटा बहू दोनो नौकरी करते हैं।बहू कुछ पहले आ जाती है।बेटा देवेन्द्र कुछ देर बाद आता है। रोज देवेन्द्र आते ही अपनी पत्नी से फरमाइश करता है  -"सुषमा एक कप गरम गरम चाय पिला दो।'
माँ ने कई बार बहू को बडबड़ाते हुये सुना था -"एक तो आफिस से थक कर आओ,आकर घर का काम धंधा सम्हालो। कोई ऐसा नही कि एक कप चाय भी पिला दे।'
बहू को बड़बड़ाते सुना तो माँ ने सोचा चलो चाय मै बना दिया करूँगी।तब से बेटे के आते ही चाय माँ बनाने लगी।आज भी बेटे के आने पर माँ ने दरवाजा खोला और चाय बनाने के लिये रसोई मे चली गई। तब बहू चाय का पानी भगोने मे डाल रही थी।माँ ने कहा - "सुषमा देवेन्द्र आगया है,तू उसके पास जा मै चाय बना कर लाती हूँ ।''
घूर कर देखते हुए बहू ने कहा  "अपने घर मे अपने पति के लिये एक कप चाय बनाने का हक भी मुझे नही है क्या ?'
माँ बहू का मुंह देखती रह जाती है,वह पूछना चाहती है कि आखिर वह चाहती क्या है किन्तु नही पूंछ पाती ।  बेटा अभी अभी  घर मे घुसा है और वह नही चाहती कि सास - बहू की चिक चिक से वह आहत हो।




दोनो एक हैं - True motivational story



नेता जी अपनी गाड़ी में बैठे ही थे कि पत्रकार ने रोका--"सर मुझे आप से दो मिनट बात करनी है।'
'अरे अभी नहीं बाद में पूछना ।अभी मैं जल्दी में हूँ,मुझे एयर पोर्ट पहुँचना है ।'
"सर कहीं बाहर जा रहे हैं ?'
"गणतंत्र दिवस समारोह में भाग लेने दिल्ली जा रहा हूँ।'
"सर सिर्फ दो सवाल ।'
"अच्छा सिर्फ दो, जल्दी से पूछो ।'
"सर गणतंत्र दिवस क्यों मनाते हैं ?'
नेता जी सिर खुजाते हुए झल्लाए --"यह भी कोई सवाल है ?'
पी ए ने स्थिति भाँपते हुए बात संभाली --"आप पत्रकार लोग भी नेताओं को इतना बेवकूफ क्यों   समझते हैं ?...क्या नेता जी को यह भी नहीं पता होगा कि इस दिन हमारा संविधान लागू हुआ   था...अब हटिए नेता जी को देर हो रही है ।'
"बस आखिरी सवाल सर ...हमारा राष्ट्रीय गीत कौन सा है और उसे किसने लिखा था ?'
नेता जी मन ही मन खुश हुए कि कितना आसान सवाल पूछा है बेवकूफ ने।वह पी. ए. को बोलने का  मौका दिए बिना बोले -- "क्यों बच्चों के से सवाल पूछ रहे हो,यह तो देश का बच्चा बच्चा जानता    होगा कि "जन गण मन' हमारा राष्ट्रीय गीत है और इसे रवीन्द्र नाथ टैगोर ने लिखा था।'
"सर यदि यह राष्ट्रीय गीत है तो फिर हमारा राष्ट्र गान कौन सा है ?'
"दोनों एक ही हैं ' कहते हुए नेता जी ने गाड़ी का दरवाजा बंद कर लिया और एअर पोर्ट की  तरफ रवाना हो गए ।'



पोल्यूशन चैक -Motivational story of success in hindi


अभय स्कूटर ले कर घर से बाहर निकला ही था कि ट्रेफिक पुलिस ने रोक लिया--"लाइसेन्स
दिखाइए।'
उसने जेब से निकाल कर लाइसेन्स दिखाया ।
"पौल्यूशन चैक सार्टिफिकेट दिखाइये ।'
"अभी वही बनवाने जा रहा था ।'
इंसपैक्टर के चेहरे पर मुस्कान आ गई --"इसका मतलब सार्टिफिकेट नहीं है ।'
"है साब पर अभी दो दिन पहले ही एक्सपायर हुआ है,मैं बाहर गया हुआ था... आज ही लौटा हूँ ।'
"इंसपैक्टर ने अर्थ भरी मुस्कान से कहा - "ठीक है बनवा लीजिएगा पर अभी तो चालान कटेगा ही...काट दूँ ?'
"रहने दीजिये न साब ,भले ही सार्टिफिकेट एक्सपायर हो गया है पर मेरी गाड़ी फिट है आप खुद देख लीजिए... इस से कोई प्रदूषण नहीं फैल रहा है ।'
तभी वहाँ से काला धुंआ उगलती एक मोटर साइकिल गुजर गई पर इंसपैक्टर पहले वाले का चालान काटने न काटने के बीच उलझा हुआ था।




भगवान सब देखता है - Motivational story for success in hindi


मंदिर से लौट कर दादी ने बताया--"क्या कल युग आ गया है, चोर भगवान को भी नहीं  छोड़ते।'
नन्हें राहुल ने पूछा - "क्या हुआ दादी ?'
"बेटा रात को मंदिर में चोरी हो गई, भगवान के सारे गहने चले गए ।'
' चोरों को भी और कोई नहीं मिला,चोरी भी की तो भगवान के गहनों की...  बेवकूफ      कहीं के,अब तो वह जरूर पकड़े जाएगे ।'
दादी  चौंकीं "वो कैसे  राहुल ?'
'दादी, आप ही तो कहती हैं कि गलत काम नहीं करना चाहिए,भगवान सब देखता है,
अपने गहने चोरी होते समय भगवान ने चोरों को नहीं देखा होगा क्या ?'
' हाँ बेटा भगवान सब देखता तो है पर वह   बोल तो नहीं सकता ।'

जागरूकता - Motivational story for student in hindi


राम अम्मा कई दिन से पीछे पड़ी थी--"अम्मा एक छोटा टी.वी.दिलवा दो,पगार में से सौ रुपये हर  महीने कट कर लेना, बच्चियाँ बहुत पीछे पड़ रही हैं।'
आखिर मैंने उसे एक ब्लैक एंड व्हाइट पोर्टेबिल टी.वी. दिलवा दिया।
कुछ दिन बाद ही वह बोली -- "अम्मा,टी.वी.वापस नहीं हो सकता क्या ?'
" अब अचानक क्या हो गया, तब तो टी. वी के लिये पीछे पड़ी हुई थी ?'
"क्या करूँ अम्मा टी.वी. देख कर तो बच्चियों का दिमाग खराब हो गया है, कहती हैं"--"छोटे बच्चों   से काम नहीं कराना चाहिए ,अब हम तेरे साथ काम पर नहीं जाएगे, हमें स्कूल जाना है।'
"अम्मा हम भी पढाना  चाहते है लेकिन  दोनो मिल कर डेढ़ हजार से ऊपर कमा लेती हैं , आप ही बोलो स्कूल को भेज दूँ तो कैसे गुजारा होगा ?'



प्राणी रक्षक - A motivational story for students



सपेरा रामू लुटा पिटा सा घर पहुँचा ।उसे देखते ही उसका बेटा चहका - "अरे बाबा आज तो नाग पंचमी हैं खूब कमाई हुई होगी ...आज तो पेट भर अच्छा खाना मिलेगा न ?'
सपेरा चुप रहा ।
"बाबा आप चुप क्यों हैं ? ...साँप की पिटारी भी आपके हाथ में नहीं है,क्या हुआ बाबा ?'
"आज का दिन बहुत खराब गया बेटा ।साँप की पिटारी प्राणी रक्षक समिति के सदस्यों ने छीन ली ।'
"क्यों बाबा ....वो उसका क्या करेंगे ?'
"वो सांपों को जंगल में ले जा कर छोड़ देंगे ।वो कह रहे थे हम अपने धंधे के लिये सांपों को कष्ट देते हैं, जो गलत है ।'
"उनकी यह बात तो गलत है बाबा।आपने उनसे कहा नहीं कि जानवरों पर इतनी दया आती है तो बकरीद पर कटने वाले उन लाखों निरीह बकरों को कटने से रोक कर दिखायें जिन्हें उस दिन काटा जाता है ।...सांप तो फिर भी काट कर आदमी की जान ले लेता है पर ये बकरे तो ..।'
"क्या कहता बेटा उन्हों ने कुछ बोलने ही नहीं दिया वो तो पुलिस बुलाने की धमकी दे रहे थे ।'





दूरदर्शी - Motivational story to students


"सर इस बार अपने भव्य समारोह  के लिए आप किस उद्योगपति को बुला रहे हैं ?'
"इस वर्ष किसी उद्योगपति को नहीं, सेंट मेरी स्कूल की प्रिन्सपल को बुलाने का इरादा  है ।'
"क्यो सर हर वर्ष तो आप किसी ऐसे व्यक्ति को बुलाते थे जो अच्छा डोनेशन दे जाता था,इस बार   प्रिन्सपल को क्यों ?..वहाँ तो डोनेशन लेने की परम्परा है,देने की नहीं ।'
"अरे हम भी तो डोनेशन न देने वालों में से हैं... अगले वर्ष अपने परिवार के एक बच्चे का  एडमीशन मुझे उन्हीं के स्कूल में कराना है,अब समझ में आया कुछ ?'
"जी सर, समझ गया ।'




झापड़ -Short story in hindi with moral



मैके आयी रंजना का अपनी भाभी चंदा से किसी बात पर झगड़ा हो गया।दोनो ने एक दूसरे को  खरी खोटी सुनाई । विधवा माँ ने दोनो को शान्त करने की कई बार कोशिश की किन्तु दोनो ही उलझती रहीं ।''
शाम को पति गिरीश के घर लौटने पर चंदा ने रो-रो कर उस से रंजना की शिकायत की।
गिरीश को बहुत गुस्सा आया -"अच्छा ,कहाँ है रंजना ...उसे यहाँ बुला कर ला ।''
- "पर वह तो वापस चली गई ।'
गुस्से में भुनभुनाता हुआ वह माँ के पास गया -"माँ तुम्हारे सामने, तुम्हारी बेटी ने चंदा को इतना उल्टा सीधा कहा... उस की इंसल्ट की और तुम चुपचाप देखती रहीं ?'
-" तो मैं क्या करती ?''
" भाभी से इस तरह बोलने की उस की हिम्मत कैसे हुई....तुमने उस को एक झापड़ क्यों नही मारा ?'
"चंदा ने भी उस से कुछ कम नही कहा...फिर बेटी को ही झापड़ क्यों मारती ?'
"घर में छोटे-बड़े का भी कुछ लिहाज करना चाहिए कि नहीं ? चंदा उसकी बड़ी भाभी है, कुछ कह भी दिया तो क्या लौट कर जवाब देना जरूरी था ?'
"चंदा उस से बड़ी थी पर मैं तो शायद इस घर में तुम सब से छोटी  हूँ ...  तभी चंदा  की तरफ ले कर मुझ  से इस तरह बोल रहा है और अक्सर बोलता है,तेरी इस बद्तमीजी के लिये तुझे झापड़ मारने को किस से कहूँ ?...''

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जन्नत - Motivational story in hindi for student



"सलीम भाई इतनी जल्दी में कहाँ जा रहे हो ?'
"साहब से छुट्टी लेने जा रहा हूँ।'
"कोई खास बात ?'
"हाँ अभी घर से फोन आया है,हमारी सास का इंतकाल हो गया है।'
"बीमार थीं ?'
"नहीं बीमार तो नहीं थीं,पेगनेन्ट थीं।बच्चा बच गया, सास की मौत हो गई।'
"तुम्हारी बीबी भी पेगनेन्ट है न ?'
"हाँ माँ-बेटी दोनो पेगनेन्ट थीं।'
"तुम्हारी बीबी के कितने बहन-भाई हैं ?'
"हमारी बीबी को मिला कर तेरह बहन भाई हैं ।हमारी बीबी सब से बड़ी है और अभी सब कुवाँरे   हैं।..अल्ला जाने उन बच्चों का क्या होगा अब ।'
"मतलब ये चौदवाँ बच्चा पैदा हुआ है ?...इस जमाने में इतने साधन होते हुए भी ..
"हाँ मैडम,हमारे ससुर बहुत पुराने ख्यालात के हैं,पिछली दो जच्चगी में भी हमारी सास बहुत मुश्किल  से बची थीं फिर भी उनको अक्ल नहीं आई,बोलते थे जच्चगी में मौत हुई तो सीधे जन्नत मिलेगी।'




हर्जाना - Short motivational story with moral


"सुनो अपनी  मुन्नी तो पहले से ही बहुत बीमार थी ...डाक्टर भी जवाब दे चुके  थे ।मर गई तो तुम ने   डाक्टरों से मार पीट क्यों की ?....अब चले गए न वो हड़ताल पर ।'
"हमारी मुन्नी तो चली गई अब उनके हड़ताल पर जाने या न जाने से  हमें क्या फरक पड़ता है ?'
"पर दूसरे मरीजों को फरक पड़ता है । इलाज न हो पाने से मरने वालों की संख्या कितनी बढ़ जाएगी  इसका तुम्हें अंदाजा है ?'
"अरी चुप्प ,तूने दुनिया भर का ठेका ले रखा है क्या ?..डाक्टरों  पर लापरवाही का इल्जाम लगा के  मारपीट करने से हो सकता है हमें कुछ हर्जाना मिल जाए।''

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अशुभ दिन- Short motivational story



ससुराल आई बहू ने सास से कहा ---" मम्मी जी अगले महीने की सात तारीख को गृह प्रवेश करने का प्रोग्राम है।आपको यह तारीख सूट तो करेगी न ?'
"अरे बहू तुझे इतनी भी समझ नहीं है....अगले सप्ताह से पितृ पक्ष शुरू हो रहे हैं...उन दिनो गृह प्रवेश कैसे हो सकता है ?'
"पर क्यों माँजी ?'
"अरे यह श्राद्धों के दिन होते हैं...इन दिनों कोई शुभ काम नहीं किए जाते। ...अंग्रेजी पढ़ लिख कर तुम लोग भी अंग्रेज हो गए हो...भूल गए हो अपनी परम्पराओं को ।'
सास की बात सुन कर बहू का मुँह ऐसे मुरझा गया जैसे बिना पानी के पौधे। दूसरे ही पल उसे याद आया कि उन्ही दिनो देवरानी भी माँ बनने वाली है।...वह मुस्कुरा कर देवरानी से बोली -- "मधु इन अशुभ दिनों में तुम को भी बच्चे को जन्म देने का शुभ काम नहीं करना चाहिए।'




कानून सब के लिए-Motivational story short


सिटी मेयर की गाड़ी का चालान हो गया क्यों कि रेड लाइट होने पर भी उनकी गाड़ी सिगनल पर नहीं रुकी  थी।
चालान काटने पर उनका ड्राइवर अकड़ता हुआ बोला -- "तुम्हे चालान काटना बहुत मंहगा पड़ेगा , जानते हो यह किस की गाड़ी है ?'
"किसी की भी हो ,कानून सब के लिए एक है । अभी या बाद में तुम्हें सौ रुपए का जुर्माना तो भरना  ही पड़ेगा।'
पीछे बैठे आदमी ने ड्राइवर को डाँटते हुए कहा --"ड्राइवर क्या बात है...एक तो तुमने रूल तोड़ा है ऊपर से मेरा नाम लेकर उसे धमका रहे हो ...तुम्ही लोग हमें बदनाम करते हो ...यह सौ रुपय अपनी जेब से तुम दो और आगे से इस तरह की गलती नहीं होनी चाहिये  ।'



लोकतंत्र  -Motivational story in hindi for success



राज्य के सूखा प्रभावित क्षेत्र में सस्ती दरों पर पशु चारे का  वितरण समारोह हो रहा था।उस में जिला अधिकारी मुख्य अतिथि बन कर आए थे,भाषण के दौरान उन्होंने कहा
--" सरकार राज्य में सूखे की स्थिति से वाकिफ है,आपकी सुविधा के लिए सरकार ने पचास प्रतिशत छूट देकर चारे की व्यवस्था की है, आप लोग उसका लाभ उठायें और पिचहत्तर रुपये क्विन्टल के भाव से चारा खरीदें।'
सुनते ही किसानो में खुसर- पुसर चालू हो गई ।
एक किसान खड़ा हो कर बोला --"ये कैसा सस्ता चारा है ?...,इस से कम भाव पर तो खुले बाजार में मिल रहा है ।'
अधिकारी ने कहा--"यह कैसे हो सकता है,सरकार ने डेढ़ सौ रुपये  के हिसाब से खरीदा है और आपको आधी कीमत पर दिया जा रहा है।'
दूसरे किसान ने कहा--" हम नहीं मानते.... कहीं कुछ घपला जरूर है।'
फिर एक आवाज आई--"क्या आप बता सकते हैं सरकार ने यह चारा दुगनी कीमत में कहाँ से खरीदा है,क्या इसका बिल दिखा सकते हैं ?'
सुनते ही अधिकारी अपना आपा खो बैठा और लात घूसे चलाते हुये चिल्लाया--"यू रास्कल ,बास्टर्ड तुम होते कौन हो हम से हिसाब पूछने वाले ?...लेना है तो चुपचाप लो वरना चले जाओ यहाँ से।'




उलाहना -Moral short story in hindi


आज सास बहू दोनो का उपवास था ।दोनो को दिन मे एक ही समय शाम को खाना था।बहू बाजार गई  हुई  थी और शाम तक नही लौटी थी।सासू जी को तेज भूख लगी थी।सोचा बना कर कुछ खा लूँ पर पल भर मे ही उन्हे एक वर्ष पूर्व की घटना याद आ गयी।
उस दिन भी उन दोनो ने व्रत रखा था।बहू बाहर गई  हुई  थी।जब बहुत देर तक वह नही आई  तो उन्होने खाना बना कर खा लिया था।आते ही जब बहू को पता चला कि सास खाना खा चुकी हैं तो उसने बड़ी रुखाइ से कहा
--"मै तो आपकी वजह से जल्दी-जल्दी भाग कर आई  हूँ,आपने खाना खा भी लिया।मुझे पहले से पता होता तो मै मम्मी के घर से खा पी कर आराम से आती।...थोड़ी देर तो इंतजार कर लिया होता मम्मी जी ।'
पिछली इस घटना का घ्यान आते ही सास ने बहू का इंतजार करना ही ठीक समझा।उन्हो ने खाने की सब तैयारी करली थी।सोचा था उसके आते ही पूड़ी-पराठे गरम बना लेंगे।बहू देर से ही नही काफी देर से आइ थी।चाहते हुये भी सास ने उलाहना नही दिया कि "आने मे इतनी देर क्यों कर दी ,बहुत देर से भूख लगी है'....क्यो कि वह जानती थीं  कि बहू के पास जवाबों का खजाना है।कोइ न कोइ कटु जवाब वह जरूर दे देगी और मै कइ दिन तक मन ही मन सुलगती रहूँगी।
अत: उसने यथा सम्भव सहज दिखने का प्रयास करते हुये कहा   -"बहू पराठे बनाउँ या पूड़ी ?'
बहू झल्लाये स्वर मे बोली --"क्या..... अभी तक आपने खाना नही खाया ?...एक दिन मै घर पर नही थी तो बना कर खा लेतीं न,इतनी देर तक इंतजार करने की क्या जरूरत थी।...मैं तो खा कर आइ हूँ।'
सास असमंजस मे थी कि एक दिन जब खा लिया था तो सुन ने को मिला कि " अकेली खा कर बैठ गई  थोड़ा इंतजार नही कर सकती थीं।'...आज इंतजार कर रही हूँ तो भी उलाहना कि "बना कर खा लेती, इंतजार करने की क्या जरूरत थी।'
सास कहना चाहती है कि " एक फोन ही कर दिया होता कि आप इंतजार मत करना, मैं खाकर आउँगी' किन्तु नही,कहने का कोइ फायदा नही।हर बात पर बहू का उलाहना सुनना अब शायद हर उस सास की नियति है जो बेटे- बहू पर आश्रित है।

जेल की रोटी -A short story in hindi with moral



"अरे राम प्रसाद जी आप इधर क्या कर रहे हैं...जेल में किसी से मिलने आए थे क्या ?'
झेंपते हुए राम प्रसाद जी ने कहा -- "अरे नहीं शिव राम जी एक दूसरा काम था ।'
"ऐसा क्या काम था बताइए ना शायद मैं कुछ मदद कर सकूँ ।'
"आप यहाँ किसी को जानते हैं क्या ?'
"हाँ जेलर साहब मेरे परिचित हैं।'
"फिर तो शिव राम जी एक छोटा सा काम मेरा भी करा दीजिए ।'
"बताइए क्या काम है ?
"पिछले कुछ दिनों से आर्थिक संकट से घिरा हूँ तो पत्नी के आग्रह पर पंडित जी के पास चला गया ।  उन्हों ने जन्म कुंडली देख कर तो बस डरा ही दिया ।'
"क्या बताया उन्होने ?'
"उन्होंने बताया कि ग्रहों की दशा अच्छी नहीं चल रही है...मेरे भाग्य में जेल का योग भी है।'
"अच्छा राम प्रसाद जी तो आप यहाँ अपनी सीट बुक कराने आए हैं या सर्वे करना चाहते हैं कि यहाँ   कैदियों को किन हालात में रहना पड़ता है ?'
"अरे शिव राम जी आप तो मजाक करने लगे ।'
"तो फिर आप ही बताइए कि यहाँ क्यों आए हैं ?'
"मैं ने पंडित जी से इस संकट से बचने का उपाय पूछा तो उन्होंने ग्रह शान्ति के लिए पूजा पाठ कराने  को कहा है साथ ही सलाह दी है कि एक दो दिन मुझे जेल का बना भोजन करना चाहिए।'
"ओ तो आप जेल की रोटी खाना चाहते हैं ?...अच्छा उपाय है ।'






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खिड़की खुली रखना -Motivational short story in hindi 



दीपावली की शाम को फ्लैट से बाहर जाते हुए रोहन ने कहा --"मम्मी अपन सब लोग घर से बाहर जा रहे हैं, लौटते लौटते रात के ग्यारह बज सकते हैं,आप कहें तो खिड़कियाँ भी बन्द कर दूँ ?'
"अरे नहीं,...कहा तो यह जाता है कि इस दिन घर  के खिड़की, दरवाजे सब खुले रखने चाहिए ताकि लक्ष्मी जी घर में प्रवेश कर सकें किन्तु आज के समय में ऐसा करने का मतलब है चोरों को दावत देना....पर खिड़की तो खुली छोड़ ही सकते हैं ।'
"अरे मम्मी इस पटाखेबाजी के बीच खिड़कियाँ खुली रखना भी सुरक्षित नहीं है ।'
"कुछ नहीं होता,तुम खिड़कियाँ बन्द नहीं करना ।'
"ठीक है मम्मी मैं ने खिड़कियाँ खुली छोड़ दी हैं, अब चलें ?'
रात को ग्यारह बजे वे सब घर लौटे तो पता चला कि किसी जलते हुये राकेट से उनकी खिड़की के पर्दे में आग लग गई थी किन्तु पड़ौसियों की सतर्कता से तभी आग बुझा दी गई और एक बड़ा हादसा होते होते बच गया ।




पाप -पुण्य - Very short story in hindi


वसुधा अपनी पड़ौसन मिसेज रेड्डी से बात कर रही थी तभी उनका बेटा पप्पू भागता
हुआ आया --"मम्मी  आपके किचन में एक छिपकली घुस आई है,भगा दूँ वरना कहीं खाने में न गिर जाये ।'
"छिपकली कहाँ से आ गई..  सब खिड़की दरवाजों पर तो जाली लगी है ।'
"जरूर आपकी काम वाली ने पोछा लगाते समय दरवाजा खुला छोड़ दिया होगा ।..लाओ आप झाड़ू दोउस से भगा देता हूँ ।'
"अरे बेटा छिपकली ही तो है भाग जायेगी अपने आप...वो तो सभी घरों में रहती हैं ,हमारे यहाँ भी हैं।मिसेज रेड्डी ने कहा
"पर आन्टी हमारे घर में तो एक भी नहीं है,कभी आ जाती है तो हम  उसे भगा देते हैं।..मम्मी झाड़ू दो न ।'
"बेटा संभाल कर निकालना कहीं मर न जाए..वरना पाप लगेगा ।'
"आप पाप पुण्य मानती हैं आन्टी ?'
"हाँ, पर वो तो सभी मानते हैं ।'
"एक बात पूछूँ आन्टी ?'
"हाँ पूछो ।'
"आन्टी,मेरे हाथ से छिपकली मर जाने पर मुझे पाप लगेगा पर कुछ दिन पहले पूजा में आपने बकरी   कटवाई थी तब आपको पाप नहीं लगा था ?'




उसका तर्क - Motivational story in hindi



रघु ने हाथ उठा कर आटो वाले को रोक कर पूछा - "बाबू, सोमाजीगुड़ा चलोगे ?'
"चलूँगा साब पर तीस रुपए लगेंगे ।'
रघु ने झल्ला कर कहा - "फिर इस मीटर का क्या फायदा और मीटर के नीचे यह    स्टीकर क्यों चिपका रखा है जिस पर लिखा है -"पे बाइ द मीटर'
" वो तो आटो पर ये स्टीकर लगाना कम्पलसरी है तो लगाना पड़ता..पर कौन मानता   साब ?...'
तभी रघु को  सिगरेट पीते हुए देख कर बोला -"साब आप सिगरेट पी रऐ इसके बाक्स पर भी लिखा रहता है कि सिगरेट हैल्थ के लिए नुक्सानदायक है लेकिन पीने वाले कब मानते ? '
रघु मुस्कराया "अच्छा तर्क है।'
"बैठो साब जो मीटर मे आए वही दे देना।'





पर क्या करूँ ? - Motivational story in hindi for student



दूसरी बार गर्भवती होने की बात सुनते ही सास ने कहा -"अल्पा अभी किसी को यह नहीं बताना कि तू पेट से है ।'
" क्यों मम्मी जी ?'
" देख बहू परिवार तभी पूरा होता है जब उस में बेटा-बेटी दोनो हों ।....बेटी तो तेरे पास है बस एक बेटे की कमी है...आज कल तो एक टेस्ट कराने से पता लग जाता है कि गर्भ में लड़का है या लड़की ।..तू भी नरेन्द्र के साथ जा कर टेस्ट करा ले ....यदि गर्भ में लड़की हो तो...सफाई करा लेना ।'
'ये आप क्या कह रही है  मम्मी जी ? बेटे की चाह मुझे भी है पर मैं एसा नहीं कर सकती ।... आप के यहाँ तो चीटी को मारना भी पाप माना जाता है ।आपने शादी से पहले ही मेरे अंडा खाने पर रोक लगा दी थी और अब आप ही मुझ से कह रही हैं कि गर्भ में पल रहे अपने अंश को मिटा दूँ।ये सब क्या है मम्मी ?क्या यह पाप नहीं ?...सब क्या कहेंगे यह भी आप ने नहीं सोचा ?'
"सब सोच के ही कह रही हूँ कि किसी को बताना नहीं ।...मैं जानती हूँ यह सब ठीक नहीं पर क्या करूँ ?"




इतना भारी - Short story in hindi love


स्कूल जाते हुए बच्चे की नजर मम्मी द्वारा पढ़े जा रहे समाचार पत्र पर पड़ी । उसने उत्सुकता से उसमें छपे एक चित्र को देख कर अपनी मम्मी से पूछा -- "मम्मी यह हमारे गवर्नर का फोटो है न ?'
"हाँ '
"फोटो में ये इतने सारे लोग मिल कर गवर्नर अंकल को क्या दे रहे हैं ?'
"इन लोगों ने बाढ़ पीड़ितों के लिए एक लाख रुपया जमा किया है,उसी एक लाख रुपए का चैक गर्वनर को दे रहे हैं ।'
" मम्मी चैक बहुत भारी होता है क्या जो इतने लोगों को मिल कर उठाना पड़ रहा है ?'




जन्म दिन -Short story in hindi


पिन्टू का जन्म दिन था। अभी मामा का फोन आया था,खुशी से उसका चेहरा दमक रहा था ।

अचानक उसने मम्मी से सवाल किया -- "मम्मी सुबह से मामा , मौसी और यहाँ वाली बुआ का फोन तो आ गया पर चाचा ,ताऊ और दूसरी बुआ का फोन क्यों नहीं आया ?'

मुंह बना कर मम्मी ने कहा --"उनका तो कभी नहीं आता ।'
"क्यों नहीं आता मम्मी ?'
"बेटा जिनको प्यार होता है वही जन्म दिन  याद रखते हैं और फोन भी करते हैं ।तुम्हारे पापा के घर वालों को तुम लोगों से प्यार ही नहीं है तो फोन क्यों करेंगे । उन लोगो को तो तुम्हारा बर्थ डे याद भी नहीं होगा ।"
"अरे बच्चों के मन में क्यों जहर भर रही है...बेटा मम्मी से पूछ जैसे वह हर साल याद करके अपने भाई,बहनों को बर्थ डे विश करती है आज तक कभी तुम्हारे चाचा, ताऊ ,बुआ आदि को विश किया है ?.. फिर उनसे उम्मीद क्यों करती है ?"
"हाँ मम्मी पापा कह तो ठीक रहे हैं ।"
"क्या ठीक कह रहे हैं....किया  करें न फोन, मैंने इन्हें रोका है क्या? "
"हाँ मुझे याद नहीं रहता....पर मैं शिकायत भी तो नहीं करता ।...तुम्हारी यहाँ वाली बुआ तो हमेशा  हम सब के जन्म दिन पर फोन  करती  हैं , पर  क्या तुमने या तुम्हारी मम्मी ने  जानने की कोशिश की है कि  उनका या उनके बच्चों का जन्म दिन कब होता  है ?... बेटा प्यार पाने के लिए प्यार देना भी पड़ता है पर तुम्हारी मम्मी की समझ में यह कभी नहीं  आया ।'
"आप ठीक कह रहे हैं पापा , हमें भी उन्हें विश करना चाहिए या फिर शिकायत नहीं करनी चाहिए ।'




टी आर पी का चक्कर - Short story in hindi for kids


नन्दा ने टी. वी. खोला और खटाक से बन्द करते हुए बोली --" न्यूज चैनल वाले तो लगता है पागल हो गए हैं,कुछ और दिखाने को जैसे इनके पास है ही नहीं ।'
"ऐसा क्यों कह रही हो ?'
"तो और क्या कहूँ ?एक प्रोग्राम में गेर ने शिल्पा को चूम क्या लिया ,बस न्यूज में विस्तार से वही दिन में कई कई बार दिखाने का उन्हें मौका मिल गया ।'
"लेकिन शिल्पा को देखो उसे तो कुछ भी गलत नहीं लग रहा बल्कि वह तो गेर की वकालत कर रही है कि गेर ने ऐसा भी क्या कर दिया जो भारतीय संस्कृति के नाम पर बवाल  मचाया जा रहा है।  वह एक अच्छे कॉज के लिए यहाँ आया है... हमें उस की कदर करनी चाहिए ..हाँ वह  थोड़ा वह बहक गए थे पर  हमारी संस्कृति में तो अतिथि देवो भव भी कहा गया है'...... क्या यह सब सही तर्क हैं  ?'
"तुम बिलकुल सही कह रहे हो पर अभी मैं बात शिल्पा और गेर के सही या गलत होने की नहीं कर रही हूँ  । बात न्यूज चैनल्स की नीयत की कर रही  हूँ ।'
"मैं समझा नहीं तुम क्या कहना चाहती हो ?'
"मैं कहना चाहती हूँ कि गेर ने शिल्पा को एक बार चूमा ,उसे कितने प्रतिशत लोगों ने देखा होगा ? किन्तु चैनल्स अपनी टी आर पी बढ़ाने के लिए उस सीन को दिन में पचासों बार दिखा रहे है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग देखें ...क्या वह सीन बार बार दिखाए बिना न्यूज नहीं बन सकती ?'
"सो तो है सब उसे भुनाने में लगे हैं ।''



अय्याशी के अड्डे - Kids short story in hindi



ले कर आए थे ...उनका चेहरा खुशी से दमक रहा था।
"काहे की मिठाई है ?'
"अरे भाभी जी तन्वी को बहुत अच्छी नौकरी मिल गई है ।'
"कहाँ ?'
"डैल में ,..शुरू मे ही पंद्रह हजार देंगे ।'
"अच्छा,बहुत खुशी हुई सुन कर...बधाई ।कौल सेंटर में लगी है क्या ?'
"हाँ '
."रात की ड्यूटी  रहेगी ?'
"हाँ ड्यूटी तो रात की ही रहेगी...पर डर की कोई बात नहीं है। कंपनी की गाड़ी लेने व छोड़ने आएगी ।'
"वो तो सभी कॉल सेंन्टर्स में यह व्यवस्था रहती है ।' कहते हुए मुझे तीन चार वर्ष पुरानी बात याद आ गई ।मेरी सहेली की बेटी को काल सेंटर में नौकरी मिली थी..मैं ने यह बात जब अपने इन्हीं देवर प्रमोद को बताई तो वह बुरा सा मुंह बना कर बोले थे--" अरे भाभी जी काल सैंटर तो अय्याशी के अड्डे होते हैं।'
"अय्याशी के अड्डे ' शब्द सुन का मेरा मन आहत हुआ था ,मैं ने एक तरह से उसे डपटते हुए कहा था --"तुमने भी यह क्या घटिया शब्द स्तेमाल किया है।''
"अरे भाभी जी आपकी बेटी तो काल सेंटर में नहीं है, आपको इतना बुरा क्यों लग रहा है ?'
"मेरी बेटी न सही पर दूसरों की बेटियाँ तो वहाँ काम करती हैं ,इस तरह का कमेंन्ट करना अच्छी बात नहीं हैं।
"अरे भाभी जी आप नहीं जानती बाहर क्या क्या हो रहा है ।'
मैं किसी बहस में नहीं उलझना चाहती थी अत: बात समाप्त करते हुए  कहा --" मैं तो बस इतना  जानती हूँ कि अच्छे बुरे लोग सब जगह होते हैं पर इस तरह की टिप्पणी करना अच्छी बात नहीं है।'
आज वही प्रमोद अपनी बेटी के काल सेंन्टर में काम मिलने की खुशी में मिठाई बाँट रहे हैं ।मन कर रहा था उनसे पूछूँ कि काल सेंटर जब इतने खराब होते हैं तो अपनी बेटी को उसमें काम करने क्यों भेज रहे हैं ?'





अगर-मगर - Motivational story in english


"साब आज मुझे छुट्टी होना।'
"क्यों,कुछ काम है ?'
"हौ साब, बीबी पेट से है, अभी उस को जच्चगी के लिये दवाखाने में शरीक करा के आया हूँ।'
"तुम को कितने बच्चे हैं ?'
"ये तीसरा है साब।'
"तुम्हारी शादी को कितने दिन हो गये ?'
"अगले महीने तीन बरस हो जाते ।'
"तीन बरस में तीन बच्चे ! अब आगे क्या सोचा है ?'
"साब अल्ला के करम से बेटा भी है और बेटी भी।...मैं तो पिछली बार ही बीबी का आपरेशन कराने  की  सोचा था मगर अम्मी अब्बा नहीं कराने दिये और अब भी नको बोल रऐ।'
"तुम कितने बहन भाई हो ?'
"हम दस हैं साब ।'
"सब पढ़ लिख के अच्छे रोजगार में लगे हैं ?'
"हमारे अब्बा दर्जी का काम करते हैं ,खाने को ही ठीक से नहीं जुटा पाते थे अच्छी तालीम कहाँ से   देते,सब दो-चार क्लास पढ़े हैं, मै ही बारह क्लास तक पढ़ लिया बस।'
"अब तुम तो कुछ सोचो, क्या तुम नहीं चाहते कि तुम्हारे बच्चों की परवरिश तुम से बेहतर तरीके से हो ?'
" चाहता तो हूँ मगर घर वाले......'
"देखों ये अगर मगर छोड़ो और कुछ फैसले अपने आप लेना सीखो ।'
"शुक्रिया साब,आप सही समय पर मशवरा दिये ...इस बार मैं बीबी का आपरेशन भी करा देता ।'




घर ना तोड़ो - Small kids story in english


मैंने माली से कहा-"बालय्या देखो गार्डन में कुछ  पेड़ बड़े होकर बहुत फैल गये हैं..जब भी तेज हवा चलती है उन से उलझ कर टेलीफोन के वायर टूट जाते हैं..फिर फोन ठीक होने में पाँच-सात दिन लग जाते हैं।..इस बीच बहुत परेशानी होती है।...इन पर बैठ कर कबूतर भी बहुत गंदगी फैला रहे हैं।तुम देखो लॉन की घास को कितना गंदा कर दिया है।तुम आज सब से पहले तो टेलीफोन वायर के आसपास की और लॉन के उपर की कुछ शाखाएं काट दो।'
माली ने पेड़ पर एक नजर डाली और बोला-"अम्मा झाड़ पर बहुत सी चिड़ियों के घराँ हैं..उसमें उनके के अंड़े और बच्चे भी होंयेंगे...कटिंग किये तो उन के घराँ टूट कर गिर जाते...अम्मा रहने दो न उनको बेघर किये तो पाप लगता ।'
माली की बात सुन कर मुझे एक झटका सा लगा।चिड़ियों का घर टूटने और उनके बेघर होने की उसे इतनी चिंता है।..अभी कुछ दिन पहले ही जब उसने अपने बीबी - बच्चों को बेघर कर के दूसरी औरत को घर मे बैठाया था तब उसे अपने घर के टूटने का ख्याल एक बार भी नही आया ।



मजबूरी - Kids story in english in moral


फूला ने नंदा से कहा-"भाभी जी आपके घर में पार्वती काम करती है न...आपको मालुम है वह कौन जात है ?'
"नहीं'
"वह जाति से महतर है।'
अन्दर काम कर रही पार्वती यह बात सुन कर बाहर भागती हुई आई। उसे देखते ही फूला एक दम से सकपका गई।
पार्वती आक्रामक स्वर मे बोली -"फूला यदि मै महतर हूँ तो तू ही कौन सी बनियां या  बामन  है ?...तू भी तो चमारिन है।'
"हाँ मै चमार हूँ लेकिन अपनी जाति छिपा कर काम नही करती।तुझ से पहले मैं ही यहाँ काम करती थी।पूछ ले भाभी जी से मै ने काम शुरू करने से पहले ही अपनी जाति बता दी थी। वो तो मै बीमारी के कारण एक महीना काम पर नही आ पायी तो भाभी जी ने तुझे रख लिया।'
"जाति तो मैं ने भी ना छिपाई है। भाभी जी ने पूछा नही ,मैं ने बताई नहीं । यदि पूछतीं   तो  मैं झूठ थोड़े ही बोलती ।...मै जाति से भले ही मेहतर हूँ पर मेरे घर मे मेहतर का काम कोई भी नही करता। मेरा आदमी तो कम्पाउडर  है फिर भी मैं यहाँ आकर पहले साबुन से हाथ-पैर धोती हूँ तब काम करती हूँ । '
नंदा सोच रही थी शहर मे आजकल कामवालियों की इतनी किल्लत है कि मिलती ही नहीं और मुझ से काम होता नही।...काम कराना अपनी मजबूरी है...फिर जाति पूछ के क्या फायदा ?...फूला और पार्वती को बहस मे उलझा देख कर नन्दा ने कहा - "पार्वती देख मैं तो यह जात - पात मानती नही किन्तु मेरी सास मानती हैं। वह अभी मंदिर से वापस आ रही होंगी, उन्होंने तुम्हारी बातें सुन ली तो तुझे यह काम छोड़ना पड़ेगा (और फिर सब काम मेरे सिर पड़ेगा) इसलिए जल्दी से यह बहस छोड़ कर अपने काम मे लग जा।'
पार्वती फूला को खा जाने वाली नजरो से घूरती हुइ अंदर चली गई।





देश का दुश्मन - Motivational story english


किशोर वय के बच्चे ने अपनी मम्मी से पूछा -- "मम्मी मैं ने सुना हे पापा किसी आतंकवादी की   तरफ से मुकद्दमा  लड़ कर उस को बचाने का प्रयास कर रहे हैं ?'
"अच्छा ?'
"आपको नहीं पता ? '
"मुझे क्या पता ...मुझे बता कर वह  मुकद्दमा  लड़ते हैं क्या ?'
"पर मुझे पता है, वह देश में आंतक फैलाने वाले एक मुजरिम का केस लड़ रहे हैं ।'
"हो सकता है ।'
"पर क्यो मम्मी ?...हमारे देश में आतंक फैला कर सैंकड़ों की जान लेने वाले को पुलिस बड़ी   मुश्किल से दूसरे देश से पकड़ कर लाइ है,उसके बचाव में केस लड़ना क्या गलत नहीं ?'
"बेटा वकीलों का तो काम ही ये होता है,जिसके वकील होते हैं उसे बचाने का प्रयास करते हैं,भले ही  वह दोषी हो।'
"मम्मी ये तर्क मेरे गले नहीं उतर रहा है। मेरी समझ में एक देशद्रोही को सजा से बचाने वाले को    देश प्रेमी तो नहीं कहा जा सकता ।'



प्यार पर प्रश्न चिन्ह - English motivational story


पत्नी ने पति से पूछा ---
"सुनो तुम कहाँ जा रहे हो ?'
"माँ के पास, तुम्हें चलना है तो तुम भी चलो ।'
"ना मुझे तो नहीं जाना पर तुम क्यों जा रहे हो ?'
"क्यों का क्या मतलब है ।...तुम भी तो अपनी माँ के पास जाती हो ? अपनी माँ से
मिलने का मेरा मन  नहीं करता क्या ?'
"वह तो आपको जरा भी प्यार नहीं करतीं बल्कि आपकी बुराई ही करती हैं।'
"किस से करती हैं मेरी बुराई ?'
"मुझ से भी करती हैं।'
"तुम भी तो मेरी शिकायत उनसे करती हो... क्या मैं भी तुम्हारे पास आना छोड़ दूँ ?'
"मैं ने तो तुम्हारी शिकायत कभी उनसे नहीं की ?'
"उनको छोड़ो अपने बेटे राहुल की शिकायत तुम मुझ से और मेरी शिकायत राहुल से
नहीं करतीं हो ? तो  क्या मैं यह मान लूँ कि तुम हम दोनों को प्यार नहीं करती  ?....क्या
मैं और राहुल भी तुम्हारे पास   आना छोड़ दें ?'
"तुम तो बात को कहाँ से से कहाँ मोड़ देते हो। बात का बतंगड़ बनाना तो कोइ तुम से
सीखे ।'
"यह भी मैं ने तुम से ही सीखा है।...माँ से मिलने जाने की बात सुनते ही तुमने उनके
प्यार पर ही प्रश्न   चिन्ह लगा दिया।'




तूने क्या दिया -Kids story in english


लालची स्वभाव की शगुन अक्सर अपने पति को ताने देती रहती थी ।हमेशा उसके निशाने पर  होते थे उसके ससुराल वाले ।
पति के घर में घुसते ही बोली -- "आज मेरी सहेली के बेटे का नामकरण संस्कार हुआ है ।पता है उसकी सास ने बच्चे को क्या दिया ?'
"मैं सुबह का गया अभी आफिस से लौटा हूँ ।यह सब मुझे कैसे पता होगा ?'
"मैं बता रही हूँ न...उसकी सास ने बच्चे को दो तोले की सोने की चेन दी है ।वह मुझ से पूछ रही थी कि तेरे बेटे के जन्म पर तेरी सास ने क्या दिया था ?'
"तूने क्या कहा ?'
"क्या कहती ...दिया तो उन्हों ने एक सोने का छल्ला भी नहीं था पर अपनी इज्जत रखने के लिये झूठ बोलना पड़ा कि उन्होंने भी सोने की चेन दी थी ।'
"तेरी सहेलियाँ हमेशा यह तो पूछती हैं कि सास ने क्या दिया , नन्द ने क्या दिया ।...कभी यह नहीं पूछती कि तूने अपनी सास और नन्द को क्या क्या दिया ?'





बेचारा रावण - best motivational story in hindi

रमन ने पूछा --"मम्मी दशहरे के दिन रावण को क्यो जलाते हैं ?'
"बेटा रावण बहुत खराब था। उसने भगवान राम की पत्नी सीता का धोखे से अपहरण कर लिया था  । सीता को वापस लेने के लिये राम को रावण से युद्ध करना पड़ा और युद्ध में रावण मारा गया था ।'
"यह सब तो मुझे मालुम है कि राम ने रावण को मार का सीता को उस के चंगुल से मुक्त कराया था  पर हर साल दशहरे पर नकली रावण बना कर उसे जलाने से क्या फायदा है ?'
"फायदा यह है कि इस बहाने लोगों को याद रहे कि बुरे काम का नतीजा भी बुरा ही होता है।इस से लोगों को सीख मिलती है कि वे बुरे काम न करें ।'
"लेकिन मम्मी इस युग के दुष्टों की तुलना में रावण उतना बुरा नहीं था। रावण ने सीता से कोई जबर्दस्ती नहीं की थी  ...पर अब तो चारों तरफ राक्षसों  की भरमार है । और ये राक्षस इतने ताकतवर हैं कि मासूमों का अपहरण ,बलात्कार और फिर हत्या  करने के बाद भी सजा से बच जाते हैं पर हम अब भी  हर साल बेचारे रावण को ही जलाते रहते हैं ।'




उलझन - best inspirational story in hindi

प्रश्न पत्र पढ़ते हुए माँ ने बेटी से पूछा --"पिंकी प्रश्न है हमारी राष्ट्र भाषा कौन सी है, तुमने क्या    लिखा ?'
"मम्मी मेरी बेवकूफी से यह सवाल गलत हो गया । मुझे हिन्दी लिखना  चाहिए था  पर मैं अंग्रेजी लिख  आई । '
"क्या तुम्हें नहीं पता था ?'
"पता था माँ पर उत्तर लिखते समय दो दिन पहले की एक बात याद आ गई और मैं उलझन में   पड़    गई ।'
"दो दिन पहले ऐसा क्या हुआ था ?''
"मैं ने आपको बताया तो था माँ ।हमारे स्कूल में हिन्दी में बात करना बिल्कुल मना है।मुझे कक्षा में  हिन्दी में बात करते देख कर टीचर ने मुझे बेंन्च पर खड़ा कर दिया था ।...यह बात याद आते ही मैं     ने सोचा यदि हमारी राष्ट्र भाषा हिन्दी होती तो उसके बोलने पर मुझे सजा क्यों मिलती ?....बस यहीं मुझ से  गल्ती  हो गई । ''





चित भी उनकी और पट भी - short inspirational stories on life


घर पंहुचते ही पत्नी ने पूछा -- " सुनो शास्त्री जी के पास हो आए ?''
"हाँ ''
"आपने बताया कि उनके हिसाब से बनवाए  इस नए मकान में रहते हुए करीब दो वर्ष हो गए हैं पर परेशानियां रूप बदल बदल कर आ रही हैं, हम सुखी नहीं हैं ।... इस से ज्यादा सुखी तो हम पहले के मकान में थे जिसमें उन्हों ने वास्तु के हिसाब से बहुत से दोष गिना दिए थे।"
"हाँ मैं ने सब बताया कि इस घर में आने के बाद छोटे बेटे की नौकरी चली गई ।बड़ी बहू का एबोर्शन हो गया।...घर में अशान्ति रहने लगी है ...मेरा व्यापार भी अच्छा नहीं चल रहा है ,घर के खर्चे भी नहीं निकल रहे हैं।''
"क्या कहा उन्होंने ?''
"अब क्या कहेंगे ....इन लोगों के पास हर बात का जवाब होता है...कहने लगे -- "देखिए मैं ने आपका घर पूरी तरह से वास्तु के हिसाब से बनवाया है पर आपके पड़ौस के वास्तु का,आपके काम करने की जगह के वास्तु का भी जीवन पर प्रभाव पड़ता है...यह सब परेशानियां उसी की वजह से आ रही हैं।''
मैं ने कहा -- "शास्त्री जी इस घर के सिवाय कुछ भी नहीं बदला है।मेरा व्यापार, बच्चों का आफिस सब पुरानी जगहों पर ही है।''
रूखे स्वर में चिढ़ कर बोले --" तो आपके पड़ौस का वास्तु प्रभावित कर रहा होगा ...उसे मैं कैसे रोक सकता हूँ।''




एक और फतवा -Short Motivational Stories in Hindi

"फरजाना ,योगा को चलोगी ?'
"क्यों नहीं।'
"अरे कुछ दिन पहले ही तो टीवी पर आ रहा था कि योगा के खिलाफ भी फतवा जारी किया गया  है।'
"हाँ किया है किन्तु साथ मे यह भी कहा है कि योगा के वर्जिश वाले भाग से उन्हें एतराज नहीं है पर  ओम या इसी तरह के श्लोकों पर उन्हें आपत्ति है।'
"लेकिन योगा सेंन्टर में हम पर  कोई भी मंत्र या ओम बोलने को दबाव तो डालता नहीं है। जिसका  मन है बोलो, नहीं मन है तो मत बोलो ।न कोई हमें बुलाने आता हैं ।हमें उसमें फायदा नजर आता  है तो जाते हैं।साथ ही उसकी कोई फीस भी नहीं देनी पड़ती ।यह लोग तो बस ऐसे ही फतवे जारी  करते रहते हैं।'
"हाँ तुम ठीक कह रही हो। कल को हो सकता है एक और फतवा जारी हो जाए कि जिन लोगों के  नाम भगवानों के नाम  पर हैं जैसे राम,श्याम, उमा ,पार्वती उन्हें नाम से भी मत पुकारो ।'
"बिल्कुल हो सकता है ।'




जुगाड़ - Motivational Story For Success 2021


एक स्तंभ लेखक से पाठक ने पूछा   "अपने स्तंभ में आप किसी न किसी व्यक्ति पर कीचड़ क्यों उछालते रहते है ? लोगों का कहना है कि जिससे आपकी नहीं पटती  या जो आपको महत्त्व नहीं देते  ,आप उनके खिलाफ लिख कर बदला लेते हैं ....अब मुझे भी ऐसा लगने लगा है ,.क्या यह सही है ? "
"नहीं ऐसा तो नहीं है पर आप को ऐसा क्यों लगा ? "
"पिछले दिनों आपने लिखा था कि समाज सेवी कृपा शंकर जी समाज सेवा का ढ़ोंग करते  हैं ,काम थोड़ा करते है पर बढ़ा चढ़ा कर प्रचार करते हैं  ."
"मैंने जो लिखा था वह गलत नहीं है ."
"वह समाज सेवा के लिए कई बार पुरस्कृत हो चुके हैं  .कई पत्रिकाओं में उनके साक्षात्कार  भी प्रकाशित हुए हैं  फिर उनको तो मैं  व्यक्तिगत  रूप  से भी जनता हूँ ,वह एक नेक  इन्सान हैं ."
"आप भी क्या बात करते हैं ....कुछ लोग बड़े जुगाडू होते हैं .वैसे भी आज पैसे  से  बहुत कुछ ख़रीदा जा सकता है ....फिर अपनी तारीफ मै कुछ छपवाना तो और भी आसान है ."
' वह कैसे ? "
" दारू पिला कर और मुर्गा खिला कर कुछ भी लिखवा  लो ."
" ओ....लगता है उन्होंने आप को कुछ भी नहीं खिलाया पिलाया ."





बेइमान कौन ? - Inspirational stories in hindi


मैं ने आटो वाले से कहा-"बाबू ,चार मीनार चलोगे ?'
"हौ,चलता पर पेंतीस रुपये लगते ।'
"पर मीटर से तो पच्चीस रुपये होते हैं।'
"मीटर से तीस के आस-पास आते ,आज कल क्या सस्ता है ?...पेट्राल के दामां रोज बढ़ रए,         पॉच रुपये ही तो   बढ़ के पूंछरा न अम्मा।'
"मीटर से चलना है तो चलो'
"नको मॉ।
दूसरे .तीसरे आटो वाले से पूछा किन्तु लगा जैसे सबने एका कर रखा है कि मीटर से नही जायेंगे और पेंतीस   रुपये ही लेंगे। मेरे साथ चल रही मेरी बिटिया का धैर्य समाप्त होने लगा था-"क्या   मम्मी,इतनी तेज धूप है,पांच रुपये में क्या फरक पड़ जायेगा...दे दो न पेंतीस रुपये ...'
" बेटा बात पांच-दस रुपयो की नही है,इन लोगो ने लूट मचा रखी है।... बेइमान कही के,मीटर होते हुये भी सौदेबाजी करते हैं....आखिर मीटर किस लिये लगा रखे है.'
तभी एक आटो वाले ने रुक कर पूछा-"अम्मा कही जाना है क्या ?'
"हां चारमीनार जाना है।'
उसने बिना किसी हुज्जत के मीटर डालते हुये कहा-"बैठो अम्मा।'
आटो मे बैठते हुये मै ने एक सफलता भरी मुस्कान से बिटिया को देखा... मन मे एक संतोष भी था कि मैं ने आटो वालों की गैर- वाजिव मांग को नही माना।
चारमीनार पहुंच कर पैसे देने के लिये मीटर देखा तो सैंतीस रुपये आये थे यानि कि इन महाशय ने मीटर सैट कर रखा था।
बिटिया ने मुस्करा कर मेरी तरफ देखते हुये आटो वाले को रुपये दे दिये और पूछा-"अब बताइये मम्मी बेइमान कौन था वे या ये ?'




शुभ अशुभ - Real life inspirational stories in hindi


"मां अपने घर इतनी सारी आंटी क्यों आई थीं....इनके घर में शादी है क्या ?" --पॉँच छह वर्षीय पुत्र ने पूछा
"नहीं बेटा शादी नहीं है .इनके दादा जी की तेरहवीं है ,उसका न्योता देने आई थीं ."
"तेरहवीं क्या होता है मां ?"
"जब कोई मर जाता है तो उसके मरने के तेरहवें दिन घर मै पूजा पाठ होता है .पंडितों को दान दक्षिणा दी जाती है .उन्हे और जाति बिरादरी वालों  को खाना खिलाया जाता है ,इसे तेरहवीं कहते है ."
बच्चे ने उत्साह से पूछा -"इसका मतलब जब कोई मर जाता है तो दावत होती है ?...फिर तो उस दिन घर मै लड्डू ,पूड़ी ,कचौडी  भी बनते होंगे ?...अपने घर ऐसी दावत कब होगी मां ?"
मां ने मुंह बिचका कर खाट पर बीमार पड़ी सास की ओर इशारा कर के कहा --"ये मरेगी तब ."
बच्चा चहका --"जब दादी मरेगी तो अपने यहाँ भी दावत होगी ?"
"हाँ ."
बच्चे ने बीमार पिता को देख कर पूंछा --"पापा मरेगे तब भी दावत होगी ?"
तडाक से एक चांटा बच्चे के गाल पर पड़ा --"करमजले अशुभ बात मुंह से निकालता है ."
बच्चा रोने लगा था.वह नहीं समझ पाया कि उसकी गलती क्या है ...दादी के मरने कि बात शुभ और पिता के मरने कि बात अशुभ कैसे हो गई ?




करेला नीम चढ़ा - Short inspirational stories in hindi



"किस का फोन था सोनाली?'
"लखनऊ से मम्मी का था।कल घर पहुँचने को कहा है।'
"क्या कोइ खास बात है... वहाँ सब ठीक तो है ?'
" हाँ सब ठीक है।कहीं शादी की बात चल रही होगी...मुझे कोइ देखने आने वाला है...इसी लिये बुलाया है।'
" लड़का क्या करता है?
"पता नही।..मुझे यह देखने-दिखाने का सिलसिला बहुत खराब लगता है...
दो दिन बाद सोनाली के लौटने पर महिमा ने पूछा -"देखना दिखाना हो गया...लड़का क्या करता       ?'
"पुलिस मे है .... मुझे तो पुलिस वालो से बहुत डर लगता है...रोज उनके नये नये कारनामें पेपर मे पढ़ लो।'
महिमा ने छेड़ा-"सैयाँ भये कोतवाल तो डर काहे का ?...पिता क्या करते हैं ?'
"विधायक है'
" "यह तो सोने मे सुहागा हो गया।...बात पक्की हो गयी ?'
"अभी नहीं वह लोग घर जाकर जवाब देंगे। भगवान करे वहाँ से ना आजाये...मैं इनकार करूँगी तो मम्मी - पापा को अच्छा नहीं लगेगा क्यो कि उन्हें यह रिश्ता पसन्द है'
"तुझे यह रिश्ता पसन्द क्यो नही है ?'
"एक तो करेला वो भी नीम चढ़ा'
"तू एसा क्यो कह रही है ?'
"तो और क्या कहूँ ?..लड़का पुलिस मे है और उसका पिता पौलिटिक्स में।'


संस्था - Inspirational stories in hindi language   


शहर की छह-सात साहित्यिक संस्थाओं ने मिल कर दिल्ली से आये एक लेखक के सम्मान में साहित्यिक गोष्ठी का आयोजन किया।
अतिथि लेखक के एक घंटा विलंब से आने के उपरांत भी सभा में आठ-दस लोग ही उपस्थित थे।
लेखक के साथ आई उनकी पत्नी ने अपनी स्थानीय मित्र से पूछा- "यह सम्मान गोष्ठी कई साहित्यिक संस्थाओं के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित की गई है, मैं तो सोच रही थी काफी लोग होंगे। लेकिन यहॉ तो...'
मित्र ने बताया - "यहां उपस्थित हर व्यक्ति अपनी बनाई किसी संस्था का अध्यक्ष है। इस तरह हर  आदमी अपने आप में एक संस्था है।'




स्टेटस - Short motivational stories in hindi


मिस्टर वाल्मीकि घर पहुंचे तो पत्नी मुंह लटकाये हुए बर्तन मांज रही थी।
"आज कामवाली नहीं आई ?'
"अब आयेगी भी नहीं।'
"अब क्या हो गया । पहले तो  कामवाली हमारी जाति पता लगने पर काम छोड़ कर भाग जाती थीं।...लेकिन ये नई कामवाली तो अपनी ही जाति की है। ये क्यों भाग गइ ?'"हमारी जाति की है तो क्या हमारे सिर पर चढ़ कर बैठेगी ?.. हमारे स्टेटस की हो जाएगी ?...
अब  तक तो चाहे जब डाइनिंग टेबल की कुर्सियों पर बैठ जाती थी।...मुझे अच्छा तो नहीं लगता था किंतु बस  यही सोच कर चुप बैठ जाती थी कि बड़ी मुश्किल से तो मिली है कहीं ये भी न भाग जाये।....
आज टीवी पर फिल्म आ रही थी। उसे देखने के लिए वह सोफे पर बैठ गई। पिंकी ने टोक दिया
कि सोफे पर नहीं कार्पेट पर बैठ जाओ।'....
"फिर ?'
"फिर क्या, बस तुनक कर खड़ी हो गई और बोली, "अब तक जब ऊंची जाति के लोग हमें अपने   से छोटा समझते थे तो बहुत गुस्सा आता था। लेकिन पिंकी हम और तुम दोनों एक जाति के हैं फिर तुम हमसे  अछूतों सा व्यवहार क्यों कर रही हो ? तुम चार अक्षर पढ़ गये तो हम से ऊंची जाति के तो नहीं    हो गये ?...नहीं करना तुम्हारा काम।' कहकर पैर पटकती हुई बाहर चली गई।'




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