छाले अब नहीं - हिंदी कहानी
छाले अब नहीं
दीपू के मुँह में फिर छाले निकल आए
थे। तीन दिन से वह ढंग से खाना भी नहीं खा पा रहा। डॉक्टर के पास जाने से अब उसे
डर लगता है।
पहले जब छाले होते थे तो डॉक्टर खाने की
गोलियाँ लिख देते थे। बी-कॉम्पलैक्स की उन गोलियों से उसके छाले ठीक भी हो जाते
थे। गोलियों से जब कोई फायदा नहीं हुआ तो डॉक्टर ने हर बार यही कहा कि "बेटा, आपको साग-सब्जी खूब
खानी चाहिए। तुम्हारी मम्मी कह रही थीं कि तुम कोई सब्जी नहीं खाते हो। यही आपके
छालों का कारण है... छाले बार-बार होते रहेंगे। सुई कब तक लगवाते रहोगे ? जल्दी-जल्दी छाले
होना अच्छी बात नहीं है। इससे मुँह में कैंसर भी हो सकता है।'
जब डॉक्टर समझाते तो सात-आठ दिन वह खूब
सब्ज़ियाँ खाता था। छाले ठीक होते ही फिर वह डॉक्टर की हिदायत भूल जाता था।
माँ रोज गुस्सा होती हैं -" दोनों
टाइम दाल-चावल खाना चाहता है। सब्जी तो खाना ही नहीं चाहता। रोटी-पराठे खाता है तो
वह भी अचार के साथ। इस बार मैं तेरे साथ डॉक्टर के पास नहीं जाऊँगी। अकेला जा और
सुई लगवा कर आ।'
डॉक्टर के पास जाने की उसकी हिम्मत नहीं हो
रही थी। पहले तो वह डाँटेंगे कि सब्ज़ियाँ खानी क्यों छोड़ दीं ? दूसरी बात फिर
इंजेक्शन लगाने का सिलसिला शुरू हो जाएगा। जिससे उसे बहुत डर लगता है। तीन दिन और
इसी तरह निकल गए। छाले बढ़ते ही जा रहे थे। मम्मी उसके आग्रह पर हरी सब्जी भी बना
रही थीं किंतु छालों की वजह से वह कुछ नहीं खा पा रहा था। मम्मी इस बार बहुत सख्त
हो गई थीं। डॉक्टर के पास उसके साथ जाने को तैयार नहीं थीं। उसका मन रोने को करता किंतु रो भी नहीं
पाता था, क्योंकि छोटी बहन उसे चिढ़ाती थी कि "भैया लड़का होकर रोता
है।"
आखिर उसने माँ से प्रार्थना की -
"मम्मी, इस बार आप मेरे साथ डॉक्टर के पास चलो। मैं वायदा
करता हूँ आप जो भी सब्जी बनाएँगी रोज दोनों टाइम खाया करूँगा। बस आप एक काम करना
जब मैं सब्जी नहीं खा रहा होऊँ तो आप मुझे छालों की याद दिला देना।'
फिर माँ उसे डॉक्टर के पास ले गई। उसने
डॉक्टर से भी पक्का वायदा किया कि "अब मैं रोज सब्जी खाया करूंगा ।' डॉक्टर के इलाज से
छाले ठीक हो गए।
अब कई महीनों से उसे छाले नहीं हुए हैं। वह
रोज सब्जी खाता है। वह समझ गया है कि दवाएँ खाने व इंजेक्शन लगवाने से अच्छा
सब्ज़ियाँ खाना है। कभी वह सब्जी खाने में आनाकानी करता है तो मम्मी याद दिला देती
है। मम्मी से पहले नटखट नन्हीं बहन जूही याद दिला देती है,
"भैया, सब्जी नहीं खाओगे तो छाले हो जाएँगे। फिर आप सुई
लगवाने में रोएँगे।'
अब सब्जी खाने की उसकी आदत पड़ गई है। बहुत
दिनों से वह डॉक्टर के पास नहीं गया है।
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