लघु कथा - जो राम रचि राखा
जो राम रचि राखा
"बेटा यह शादी नहीं हो
सकती ।'
"क्यों पापा ? वह हमारी जाति की नहीं है,इस लिए ?'
"एक कारण यह भी हो सकता था पर तुम्हारी खुशी के लिए हम इस शादी के लिए तैयार हो गए थे। पर तुम दोनो की जन्म पत्री नहीं मिल रही है।पंडित जी ने कहा है कि लड़की के भाग्य में वैधव्य का योग है... इसलिए उन्होंने इस विवाह से इंकार कर दिया है और यह बात सुन कर हम भी हाँ कैसे कर सकते ?'
"पापा हमारा पढ़ा लिखा परिवार है... इन दकियानूसी बातों पर आप विश्वास करते हैं ?
"हाँ बेटा इस में तो हम विश्वास करते हैं।'
"क्यों पापा ? वह हमारी जाति की नहीं है,इस लिए ?'
"एक कारण यह भी हो सकता था पर तुम्हारी खुशी के लिए हम इस शादी के लिए तैयार हो गए थे। पर तुम दोनो की जन्म पत्री नहीं मिल रही है।पंडित जी ने कहा है कि लड़की के भाग्य में वैधव्य का योग है... इसलिए उन्होंने इस विवाह से इंकार कर दिया है और यह बात सुन कर हम भी हाँ कैसे कर सकते ?'
"पापा हमारा पढ़ा लिखा परिवार है... इन दकियानूसी बातों पर आप विश्वास करते हैं ?
"हाँ बेटा इस में तो हम विश्वास करते हैं।'
पापा यदि ये पंडित ऐसे
किस्मत पढ़ सकते तो इनके परिवार में कोई बेटी या बहू विधवा
नहीं होती। ...
आपको तो पता है न कि
पिछले वर्ष ही इन पंडित जी की बेटी शादी के एक साल बाद ही विधवा हो गई थी।क्या
इन्होंने कुंडली नहीं मिलाई होगी ?'
"बेटा तू बहस बहुत करता है।'
"पापा मैं बहस नहीं कर रहा, सच्चाई के उदाहरण दे कर आप को ऐसे बेतुके अंधविश्वासों से बचाने की कोशिश कर रहा हूँ। ...प्लीज पापा ।'
"ठीक है बेटा दिल पर पत्थर रख कर स्वंय को यह कह कर समझा लेंगे कि होवत वही जो राम रचि राखा ।'
" थैंक यू,यह हुई न मेरे पापा वाली बात '
"बेटा तू बहस बहुत करता है।'
"पापा मैं बहस नहीं कर रहा, सच्चाई के उदाहरण दे कर आप को ऐसे बेतुके अंधविश्वासों से बचाने की कोशिश कर रहा हूँ। ...प्लीज पापा ।'
"ठीक है बेटा दिल पर पत्थर रख कर स्वंय को यह कह कर समझा लेंगे कि होवत वही जो राम रचि राखा ।'
" थैंक यू,यह हुई न मेरे पापा वाली बात '
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