गुस्सैल
एक लडका था. उसका नाम था खुश ।नाम तो उसका खुश था जिसका मतलब होता है प्रसन्न पर वह अपने स्वभाव से बहुत गुस्से वाला था इसिलए सबने उसका नाम गुस्सैल रख दिया था । वह अपने माता पिता की अकेली संतान था उसकी हर माँग एक बार में ही पूरी हो जाती थी इसीलिए वह जिद्दी भी हो गया था ।वह सातवीं कक्षा में पढ़ता था .वहॉं भी उसका वही हाल था ,रोज उसकी शिकायतें स्कूल से भी आने लगी थीं । वह खेल के मैदान में , क्लास में हर जगह अपने साथियों से झगड़ा करता और मारपीट पर उतर आता ।उसे ना सुनने की आदत नहीं थी ,वह चाहता था सब उसकी बात माने पर वह किसी की बात सुनना या मानना नहीं चाहता था ।
एक दिन स्कूल से फिर शिकायत आई थी , पापा ने उसको बहुत डॉंटा तो वह गुस्सा हो कर अपने कमरे में चला गया । मम्मी जब उसको खाना खाने के लिए कमरे में बुलाने गई तो वह अपने कमरे में नहीं था। घर में ,पास पड़ौस में ,दोस्तों के यहॉं उसको सब जगह ढूँढा पर वो कहीं नहीं मिला ।
खुश को डॉंट खाने की बिलकुल आदत नहीं थी इसीलिए उसको बहुत गुस्सा आया ।वह जानता था कि उसके चले जाने पर मॉं व पापा बहुत परेशान हो जाऐंगे बस उनको परेशान व दुखी करने के लिए वह घर से निकल गया और बिना सोचे समझे वह चलता ही गया . एक जगह वह ठोकर खाकर नीचे गिर गया , उसने चारों तरफ देखा तो उसे समझ ही नहीं आया कि वह कहॉं है । उसे जोर से भूख लग रही थी, प्यास भी लगी थी । उसने जेब में हाथ डाला तो उसके पास बीस रुपए थे । उसने पास की दुकान से एक समोसा खरीद कर खाया जोकि दस रुपए का था । अब उसके पास दस रुपए ही बचे थे ।उसे यह भी पता नहीं था कि वह घर से कितनी दूर आ गया है । उसने दुकान वाले अंकल से पूछा कि अंकल लकड़ी का पुल कितना दूर है ?’’
‘’लकड़ी का पुल तो यहॉं से बहुत दूर है ,तुम वहां रहते हो ?’’
‘’जी अंकल ‘’
‘’तुम कुछ परेशान भी दिखाई दे रहे हो, क्या घर से गुस्सा हो कर आए हो ,बोलो बच्चे चुप क्यों हो ,रात होने वाली है किन्ही गलत लोगों के हाथ पड़ गए तो बहुत बुरा होगा और कभी अपने माता पिता के पास नहीं पहुँच पाओगे ।‘’
वहॉं तीन चार लोग और भी आ गए थे , ‘’हॉं बेटा बच्चों को बहला फुसला कर ले जाने वाले लोगों का गिरोह घूमता रहता है,एक बार उनके चंगुल में फँस गए तो छूटना बहुत मुशकिल है।‘’
‘’हॉं बेटा वह तो अंग भंग करके किसी दूर शहर में ले जाकर भीख मगवाऐंगे या कही ले जाकर बेच देंगे।‘’
यह सब सुन कर खुश बहुत डर गया और रोने लगा ।
‘’अब रो मत बच्चे ,तुम्हारा नाम क्या है ?’
‘मेरा नाम खुश है ‘
‘’खुश बेटा ,रो मत अभी कुछ भी नहीं बिगड़ा है .अपने घर का फोन नंबर बताओ हम तुम्हारे पापा को अभी फोन कर के यहॉं बुला लेते हैं,वह लोग भी परेशान हो रहे होंगे ।‘’
खुश को मम्मी पापा दोनों का मोबाइल नंबर याद था पर उसने मम्मी का नम्बर दिया . अंकल ने मम्मी से बात की “क्या आप खुश की मम्मी बोल रही हैं ? ...हाँ खुश हमारे पास है . नहीं नहीं हमें कुछ नहीं चाहिए ...आप सालारजंग म्यूजियम पर आकर अपने बच्चे को ले जाइए,लगता है वह आप लोगों से गुस्सा हो कर घर से भाग आया है ,उसकी किस्मत अच्छी थी जो वह गलत हाथों में नहीं पड़ा .’’
“ बेटा तुम्हारे मम्मी पापा अभी आरहे हैं. मम्मी पापा प्यार करते हैं तो गलत बात पर डाटेंगे भी ,इस तरह कोई घर से भागता है क्या ? “
‘सौरी अंकल ‘
‘बेटा सौरी हम से नहीं अपने मम्मी पापा से बोलना ...तुम्हारी किस्मत अच्छी थी कि तुम हमारे साथ हो. तुम्हें मालूम है रोज पचासों बच्चे घर से गायब होते है पर पुलिस की कोशिशों से भी वह कभी नहीं मिलते .कुछ तो खुद ही घर से गुस्सा हो कर भागते है और जब तक वह अपनी गलती समझ पायें तब तक वह गुंडों के चगुल में ऐसे फसते है कि फिर कभी निकल नहीं पाते .’
“हाँ अंकल मैंने टी.वी.में ऐसे बहुत से समाचार सुने हैं और सावधान इंडिया में देखे भी हैं पर मुझे गुस्सा बहुत आता है .’
‘तो बेटा इस गुस्से पर नियंत्रण करने की कोशिश करो वरना तुम्हारी जिन्दगी नरक बन जाएगी और तुम पछताने के सिवा कुछ नहीं कर पाओगे .’
“मै आप लोगों से वायदा करता हूँ कि अपने गुस्से पर नियंत्रण करने की पूरी कोशिश करूँगा ’
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