संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम ( World Environment Day 2021)


संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम



United Nations Environment Program- UNEP

यह संयुक्त राष्ट्र की एक एजेंसी है।

इसकी स्थापना वर्ष 1972 में मानव पर्यावरण पर स्टॉकहोम में आयोजित संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के दौरान हुई थी।

इस संगठन का उद्देश्य मानव पर्यावरण को प्रभावित करने वाले सभी मामलों में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ाना तथा पर्यावरण संबंधी जानकारी का संग्रहण, मूल्यांकन एवं पारस्परिक सहयोग सुनिश्चित करना है।

UNEP पर्यावरण संबंधी समस्याओं के तकनीकी एवं सामान्य निदान हेतु एक उत्प्रेरक के रूप में कार्य करता है। UNEP अन्य संयुक्त राष्ट्र निकायों के साथ सहयोग करते हुए सैकड़ों परियोजनाओं पर सफलतापूर्वक कार्य कर चुका है।
इसका मुख्यालय नैरोबी (केन्या) में है।

पर्यावरण का मुख्यालय कहाँ है?

इसका मुख्यालय जेनेवा के निकट, ग्लैंड, स्विट्जरलैंड में स्थित है। IUCN पर्यावरण तथा विकास से जुड़ी अधिकांश चुनौतियों के लिये व्यावहारिक समाधान विकसित करने के लिये कार्य करता है



पर्यावरण दिवस क्यों मनाया जाता है?

आज तेज़ी से बढ़ता तापमान और प्रदूषण इंसानों के साथ-साथ पृथ्वी पर रह रहे सभी जीवों के लिए बड़ा ख़तरा बन गया है।

यही वजह है कि कई जीव-जन्तू विलुप्त हो रहे हैं। साथ ही लोग भी सांस से जुड़े कई तरह के रोगों से लेकर कई गंभीर बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं।

यह सब सिर्फ पर्यावरण में बदलाव और उसको पहुंचते नुकसान की वजह से है। हम ख़ुद अपने पर्यावरण का ख़्याल नहीं रख रहे हैं, यही वजह है कि धीरे-धीरे हमारी ज़िंदगी मुश्किल होती जा रही है। और इसीलिए पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करना ज़रूरी है।

कब हुई विश्व पर्यावरण दिवस की शुरुआत

सन 1972 में संयुक्त राष्ट्र संघ की ओर से वैश्विक स्तरपर पर्यावरण प्रदूषण की समस्या और चिंता की वजह से विश्व पर्यावरण दिवस मनाने की नींव रखी गई। इसकी शुरुआत स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में हुई।

यहां दुनिया का पहला पर्यावरण सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसमें 119 देश शामिल हुए थे। पहले पर्यावरण दिवस पर भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भारत की प्रकृति और पर्यावरण के प्रति चिंताओं को जाहिर किया था।

इसी सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) की नींव रखी गई थी और हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाए जाने का संकल्प लिया गया।

विश्व पर्यावरण दिवस का उद्देश्य दुनियाभर के नागरिकों को पर्यावरण प्रदूषण की चिंताओं से अवगत कराना और प्रकृति और पर्यावरण को लेकर जागरूक करना रखा गया।



विश्व पर्यावरण दिवस कब मनाया जाता है ?


5 जून को पूरे विश्व में पर्यावरण 
दिवस मनाया जाता है, संयुक्त राष्ट्र ने इस दिन को मनाने की शुरूआत की थी जो प्रकृति को समर्पित दुनियाभर में सबसे बड़ा उत्सव है। पर्यावरण और जीवन का अटूट संबंध है, इसी से मनुष्य को जीने कीमूलभूत सुविधा उपलब्ध होती है, ऐसे में इसके संरक्षण, संवर्धन और विकास की दिशा में ध्यान देना सभी का कर्तव्य है। इसी बात के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देशय से 5 जून को हर साल "विश्व पर्यावरण दिवस" मनाया जाता है।

आइए, अब आपको बताएं विश्व पर्यावरण दिवस 
से जुड़ा इतिहास 
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पर्यावरण प्रदूषण की समस्या पर सन् 1972 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने स्टॉकहोम (स्वीडन) में विश्व भर के देशों का पहला पर्यावरण सम्मेलन आयोजित किया। इसमें 119 देशों ने भाग लिया और पहली बार एक ही पृथ्वी का सिद्धांत मान्य किया।

इसी सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) का जन्म हुआ तथा प्रति वर्ष 5 जून को पर्यावरण दिवस आयोजित करके नागरिकों को प्रदूषण की समस्या से अवगत कराने का निश्चय किया गया। तथा इसका मुख्य उद्देश्य पर्यावरण के प्रति जागरूकता लाते हुए राजनीतिक चेतना जागृत करना और आम जनता को प्रेरित करना था।

उक्त गोष्ठी में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने 'पर्यावरण की बिगड़ती स्थिति एवं उसका विश्व के भविष्य पर प्रभाव' विषय पर व्याख्यान दिया था। पर्यावरण-सुरक्षा की दिशा में यह भारत का प्रारंभिक कदम था। तभी से हम प्रति वर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाते आ रहे हैं।

पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 19 नवंबर 1986 से पर्यावरण संरक्षण अधिनियम लागू हुआ। उसके जल, वायु, भूमि - इन तीनों से संबंधित कारक तथा मानव, पौधों, सूक्ष्म जीव, अन्य जीवित पदार्थ आदि पर्यावरण के अंतर्गत आते हैं।


विश्व पर्यावरण दिवस का क्या महत्व है?

एक तरफ जहां पर वैश्विक पर्यावरण दिवस को लेकर पूरे विश्व में तैयारी चल रही थी तो वहीं केरल में मादा हथनी के साथ हुई घटना यह प्रदर्शित करती है कि वाकई में मनुष्य पर्यावरण के लिए कितना संवेदनशील है। मनुष्यों ने अपने को सर्वाधिक विवेकशील प्राणी घोषित कर पूरी पृथ्वी को ही आज विनाश के कगार पर ले आया है। दिलचस्प बात यह है उन करोड़ों-अरबों जीव-जंतु की प्रजातियों में से मनुष्य भी एक है एवं इस एकमात्र मानव प्रजाति के द्वारा किए गए कार्यों का नतीजा उन करोड़ों अरबों जीव-जंतुओं को झेलना पड़ता है। विगत कुछ वक्त समय से ऐसा लग रहा है अब प्रकृति ने न्याय करते हुए संतुलन स्थापित करना शुरू कर दिया है। कोरोनावायरस महामारी इसका सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है जहां इसने पूरे मानव समुदाय की गतिविधियों को रोक दिया वही पुनः सभी जीव-जंतु स्वतंत्र विचरण करते हुए प्रकृति के साथ अठखेलियां करते पाए गए।

5 जून को मनुष्य और प्रकृति के मध्य संबंधों को दर्शाते हुए पर्यावरण के संदर्भ में जागरूकता प्रसार करने के लिए प्रतिवर्ष विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। वैश्विक समुदाय के द्वारा पहली बार 5 जून 1974 को स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में पहला विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया जिसके बाद से हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है।

वर्ष 2020 के पर्यावरण दिवस की थीम ‘जैव विविधता’ पर केंद्रित करते हुए तत्काल जैव विविधता के संरक्षण की बात कही गई है। इसके साथ ही वर्ष 2020 के पर्यावरण दिवस का मेजबान राष्ट्र कोलंबिया है। यह वर्ष जैव विविधता के दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि संयुक्त राष्ट्र अध्यक्ष के द्वारा न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र असेंबली में 22-23 सितंबर को एक बैठक का आयोजन किया जाएगा जिसकी थीम है “ सतत विकास के लिए जैव विविधता पर तुरंत कार्रवाई”। इसके साथ ही 2020 के जैव विविधता कन्वेंशन में जैव विविधता के संदर्भ में वर्ष 2020 से आगे वैश्विक जैव विविधता फ्रेमवर्क को स्वीकार करेगा जो 2050 के विजन “"Living in harmony with nature" के अनुरूप होगा। इसमें कुल 196 पार्टी के द्वारा नए नियमों के लिए बातचीत प्रारंभ करेंगें जो जैव विविधता के लिए नए नियम बनाएगा।

पर्यावरण क्या होता है?

• पर्यावरण उन सभी भौतिक, रासायनिक एवं जैविक कारकों की समष्टिगत इकाई है जो किसी जीवधारी अथवा पारितंत्रीय आबादी को प्रभावित करते हैं तथा उनके रूप, जीवन और जीविता को तय करते हैं।पर्यावरण के जैविक संघटकों में सूक्ष्म जीवाणु से लेकर कीड़े-मकोड़े, सभी जीव-जंतु और पेड़-पौधे आ जाते हैं और इसके साथ ही उनसे जुड़ी सारी जैव क्रियाएँ और प्रक्रियाएँ भी। अजैविक संघटकों में जीवनरहित तत्व और उनसे जुड़ी प्रक्रियाएँ आती हैं, जैसे: चट्टानें, पर्वत, नदी, हवा और जलवायु के तत्व इत्यादि।

पर्यावरण क्षरण के कारण?

बढ़ती नगरीकरण, औद्योगिकरण, रसायन आधारित कृषि, प्लास्टिक जैसे तत्वों का प्रयोग इत्यादि कारकों ने पर्यावरण में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। जंगल जो पृथ्वी पर संतुलन स्थापित करने वाले सर्वाधिक महत्वपूर्ण घटक उनके उन्मूलन और पाश्चात्य जीवन शैली से जलवायु परिवर्तन की विकट समस्या समेत कई अन्य चिंताएं सामने आने लगी हैं।

पर्यावरण को संरक्षित करने में महत्वपूर्ण वैश्विक प्रयास?

पर्यावरण पर संयुक्त राष्ट्र का प्रथम सम्मेलन( स्टॉकहोम सम्मेलन-1972)

• जलवायु परिवर्तन की दिशा में पहली बार संयुक्त राष्ट्र के द्वारा 1972 में स्वीडन के शहर स्टाकहोम में विश्व का पहला अन्तरराष्ट्रीय पर्यावरण सम्मेलन आयोजित हुआ। इस सम्मेलन में 119 देशों ने ‘एक धरती’ के सिद्धान्त को लेकर संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) को प्रारम्भ किया और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में ‘स्टाकहोम घोषणा’ प्रस्तुत करते हुए सम्पूर्ण विश्व में 5 जून को ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ के रूप में मनाने की भी स्वीकृति प्रदान की गई।

नवंबर 1988 : इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (IPCC) की स्थापना

• विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) के द्वारा इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (IPCC) की स्थापना की गई।

1992: पृथ्वी शिखर सम्मेलन (रियो) और UNFCCC

• 1992 में पर्यावरण और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन का आयोजन ब्राजील की राजधानी रियो डी जनेरियो में किया गया। यह शिखर सम्मेलन 'रियो शिखर सम्मेलन या पृथ्वी शिखर' सम्मेलन के रूप में जाना जाता है।

• रियो पृथ्वी सम्मेलन में पर्यावरण की रक्षा करने के लिए एक व्यापक संधि पर सहमति बनी जिसे 'युनाइटेड नेशन्स फ़्रेमवर्क कन्वेन्शन ऑन क्लाइमेट चेंज' या यूएनएफ़सीसीसी (UNFCCC) कहा जाता है। इसी सम्मेलन में 'युनाइटेड नेशन्स फ़्रेमवर्क कन्वेन्शन ऑन क्लाइमेट चेंज को सभी देशों के समक्ष हस्ताक्षर हेतु रखा गया। रियो सम्मेलन में UNFCCC के साथ इसकी बहनों के रूप में दो और कन्वेंशन की परिकल्पना की गई जिसमें एक था, जैव विविधता पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन और दूसरा था मरुस्थलीकरण पर संयुक्त राष्ट्र का कन्वेंशन।

21 मार्च, 1994: UNFCCC का अस्तित्व में आना

• जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन(UNFCCC) अस्तित्व में आता है।

11 दिसंबर, 1997: क्योटो प्रोटोकॉल को अपनाया जाना

• कॉन्फ्रेंस आफ पार्टीज का तृतीय सम्मेलन (COP-3) में क्योटो प्रोटोकॉल को अपनाया गया जो ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी करने की दिशा में प्रथम वैश्विक संधि है।

जुलाई 2001: बॉन

• कॉन्फ्रेंस आफ पार्टीज के छठे सम्मेलन (COP-6) में सभी सदस्य देशों की सरकार के मध्य एक व्यापक राजनीतिक समझौते के फलस्वरूप 1997 के क्योटो प्रोटोकोल के संदर्भ में संचालन नियम पुस्तिका पर सहमति बनी।

नवंबर 2001 : मराकेश

• मराकेश (मोरक्को) में आयोजित हुए (COP-7) क्योटो प्रोटोकॉल के समर्थन में ‘मराकेश अकॉर्ड’ अपनाए गए। इस सम्मेलन के तहत क्योटो प्रोटोकॉल के अनुपालन हेतु संचालन नियमों के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय उत्सर्जन व्यापार (इंटरनेशनल एमिशन ट्रेडिंग), स्वच्छ विकास तंत्र (क्लीन डेवलपमेंट मेकैनिज्म) और संयुक्त कार्यान्वयन (जॉइंट इंप्लीकेशन) इत्यादि को औपचारिक आधार प्रदान किया गया।

जनवरी 2005: यूरोपीय संघ के द्वारा उत्सर्जन व्यापार की शुरूआत

• यूरोपीय संघ उत्सर्जन व्यापार योजना, दुनिया की प्रथम एवं सबसे बड़ी उत्सर्जन व्यापार योजना को अपनाते यूरोपीय संघ में सामूहिक रुप से कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन में लगभग आधी भूमिका निभाने वाले प्रतिष्ठानों को विनियमित किया गया।

16 फरवरी, 2005: क्योटो प्रोटोकॉल का प्रवर्तन में आना

• यह जलवायु परिवर्तन की दिशा में एक ऐतिहासिक दिन है क्योंकि , रूसी संघ के अनुसमर्थन करते ही क्योटो प्रोटोकॉल अस्तित्व में आ गया।

नवंबर 2006 : नैरोबी

• नैरोबी कीनिया में (COP- 12) में यूएनएफसीसीसी की सहायक संस्था सब्सिडियरी बॉडी फॉर साइंटिफिक एंड टेक्नोलॉजिकल एडवाइस (SBSTA) को जलवायु परिवर्तन प्रभावों, सुभेधता और जलवायु परिवर्तन के अनुकूलन हेतु नैरोबी वर्क प्रोग्राम (NWP) हेतु अनिवार्य किया गया।

दिसंबर 2007: बाली

• COP-13 सम्मेलन में बाली रोड मैप के साथ-साथ बाली एक्शन प्लान को अपनाया गया। इस कार्यक्रम को पांच मुख्य श्रेणियों में विभाजित किया गया: साझा दृष्टि, शमन, अनुकूलन, प्रौद्योगिकी और वित्तपोषण।

जनवरी 2008: संयुक्त कार्यान्वयन तंत्र का प्रारंभ

• क्योटो प्रोटोकॉल तंत्र के अनुपालन में 'संयुक्त कार्यान्वयन' शुरू होता है। यह एक देश को प्रोटोकॉल के तहत उत्सर्जन में कमी/कटौती के संदर्भ में किसी दूसरे देश में उत्सर्जन-कटौती या उत्सर्जन कम करने की परियोजनाओं से एमिशन रिडक्शन यूनिट (ERU) को अर्जित करने की अनुमति प्रदान करता है।

दिसंबर 2008: पॉज़्नान,पोलैंड

• पॉज़्नान, पोलैंड के COP- 14 सम्मेलन में क्योटो प्रोटोकॉल के तहत विकासशील देशों हेतु महत्वपूर्ण कदम उठाए गए। इसमें क्योटो प्रोटोकॉल के संदर्भ में अनुकूलन कोष (अडॉप्टेशन फंड) का शुभारंभ करने के साथ-साथ तकनीकी हस्तांतरण के संदर्भ में पॉज़्नान रणनीतिक कार्यक्रम (Poznan Strategic Programme on Technology Transfer) की शुरुआत की गई।

दिसंबर 2009: कोपेनहेगन

• डेनमार्क के कोपेनहेगन में COP-15 में 'कोपेनहेगन एकॉर्ड' के तहत विकसित देशों ने 2010-2012 की अवधि के दौरान 30 बिलियन अमरीकी डालर की वित्तीय सहायता उपलब्ध करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की गई।

दिसंबर 2010: कानकुन

• कानकुन में COP-16 में कानकुन समझौते के तहत ग्रीन क्लाइमेट फंड, प्रौद्योगिकी तंत्र और कानकुन अडॉप्टेशन फ्रेमवर्क की स्थापना की गई।

दिसंबर 2011:डरबन

• डरबन COP-17 सम्मेलन में, सदस्य राष्ट्रों के द्वारा 2020 के आगे की अवधि के लिए 2015 तक एक नए यूनिवर्सल क्लाइमेट चेंज एग्रीमेंट को स्थापित करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की गई। इसके तहत 'डरबन प्लेटफॉर्म फॉर इनहैंस' या 'एडहॉक वर्किंग ग्रुप' को स्थापित किया गया।

दिसंबर 2012: दोहा

• दोहा में आयोजित हुए COP-18 सम्मेलन में क्योटो प्रोटोकॉल के अंतर्गत समयबद्ध प्रतिबद्धता वाले दूसरे कार्यकाल को भी मंजूरी प्रदान की गई।

नवंबर 2013:वारसा

• पोलैंड के वारसा में आयोजित हुए COP-19 सम्मेलन में वनों की कटाई एवं वनों के क्षरण को रोक लगाकर उत्सर्जन को कम करने की दिशा में नियम एवं एक तंत्र की स्थापना की गई।

दिसंबर 2015: ऐतिहासिक पेरिस समझौते को अपनाया जाना

• पेरिस में आयोजित हुए सीओपी-21 सम्मेलन में ऐतिहासिक पेरिस समझौते को अपनाया जाता है। 195 देशों ने जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने के लिए कम कार्बन उत्सर्जन और धारणीय विकास की दिशा में निवेश करने पर सहमति व्यक्त की गई।

• पहली बार पेरिस समझौता के अंतर्गत जलवायु परिवर्तन की दिशा में सभी राष्ट्रों को उनकी ऐतिहासिक, वर्तमान और भविष्य की जिम्मेदारियों के आधार पर एक साथ लाया जाता है।

नवंबर 2016:वैश्विक जलवायु कार्य नीति के लिए मराकेश उद्घोषणा

• मराकेश में आयोजित हुई COP 22 सम्मेलन में पेरिस समझौते के नियमों के कार्यान्वयन की दिशा में आगे बढ़ा गया। इस सम्मेलन के द्वारा दुनिया के समक्ष यह प्रदर्शित किया गया कि 'पेरिस समझौते के क्रियान्वयन की दिशा में प्रगति करते हुए जलवायु कार्य नीति के रूप में मराकेश पार्टनरशिप को शुरू किया गया है।'

नवंबर 2017: यूएन क्लाइमेट चेंज कॉन्फ्रेंस

• 6 से 17 नवंबर तक जर्मनी के बॉन शहर में यूएन क्लाइमेट चेंज कॉन्फ्रेंस का आयोजन हुआ। इस सम्मेलन की अध्यक्षता एक छोटे से विकासशील देश फिजी के राष्ट्रपति द्वारा किया गया।

नवंबर 2017:बॉन, जर्मनी

• बॉन, जर्मनी में आयोजित हुए COP23 सम्मेलन में सदस्य देशों के द्वारा राष्ट्रीय जलवायु कार्रवाई कार्यक्रम के पुनरीक्षण के लिए 'तालानो संवाद' को शुरू किया गया जिससे 2020 के पूर्व पेरिस समझौते के दीर्घकालिक लक्ष्यों को पूरा करने की दिशा में रणनीतिक कदम उठाया जा सके।

दिसंबर 2017: वन प्लेनेट समिट (One Planet Summit)

• पेरिस में वैश्विक नेताओं की अगुवाई में हुए इस सम्मेलन में इस दिशा में आगे बढ़ने का प्रयास किया गया कि किस प्रकार ‘लो कार्बन फ्यूचर’ की दिशा में वित्त को हस्तांतरित किया जाए।

अक्टूबर 2018: IPCC के द्वारा 1.5C लक्ष्य के महत्व की पुष्टि करना

• जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल द्वारा (IPCC) की 1.5C रिपोर्ट ग्लोबल वार्मिंग के संदर्भ में पेरिस जलवायु समझौता को व्यापक रूप से अनुसमर्थन की प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है।

दिसंबर 2018: 'कटोविस क्लाइमेट पैकेज' (Katowice Climate Package)

• कटोविस पोलैंड में आयोजित हुए COP- 24 सम्मेलन में कटोविस क्लाइमेट पैकेज-Katowice Climate Package पर सहमति बनी जिसके द्वारा जलवायु परिवर्तन की कार्य-योजना और अधिशासन की दिशा में पेरिस समझौते के तहत अंतरराष्ट्रीय सहयोग और उच्च महत्वाकांक्षा को प्रोत्साहित किया गया जा सके।

23 सितंबर, 2019: UNSG का क्लाइमेट एक्शन समिट टू बूस्ट एंबिशन

2019 जलवायु सम्मेलन: COP 25 मेड्रिड

• यह सम्मेलन स्पेन के मेड्रिड में आयोजित हुआ।


World Environment Day Theme 2021: क्या है विश्व पर्यावरण दिवस की थीम?

पर्यावरण दिवस की हर साल एक अलग थीम रखी जाती है। इस साल की थीम 'Ecosystem Restoration' है। जिसका हिंदी में मतलब है- पारिस्थितिक तंत्र पुनर्बहाली। इसे पारिस्थितिकी तंत्र बहाली भी कहा जाता है। साफ शब्दों में कहे तो इसका मतलब है, पृथ्वी को एक बार फिर से अच्छी अवस्था में लाना। साल 2020 में पर्यावरण दिवस की थीम थी- "जैव विविधता, 2019 में इसकी थीम थी- वायु प्रदूषण। 2018 में इसकी थीम थी- बीट प्लास्टिक पॉल्यूशन।


पर्यावरण किसे कहते हैं

पर्यावरण" मुख्यतः दो शब्दों से मिलकर बना है, परी जिसका अर्थ है आसपास, और आवरण जिसका अर्थ है गिरा हुआ। हमारे आसपास मौजूद वातावरण को हम पर्यावरण कहेंगे।

पर्यावरण में हम उन सब चीजों को सम्मिलित करेंगे जिसे हम महसूस कर सकते हैं, देख सकते हैं छू सकते हैं, तथा उपयोग में ला सकते हैं।
पर्यावरण में जीवित और निर्जीव तत्वों का समावेश होता है जो हमारे चारो ओर घिरा हुआ है।
पृथ्वी में मौजूद सभी चीजें जैसे जल, वायु, पेड़- पौधे, जीवित और निर्जीव वस्तुएं नदी, नाला, तालाब, झरने, पहाड़ आदि शामिल है। जिनके बिना मनुष्य जीवन का अस्तित्व शून्य है।



पर्यावरण में सभी जीव -जंतु, प्राणी एक दूसरे पर निर्भर होते हैं।
अपने जीवन यापन करने के लिए एक चक्र के रूप में घिरे हुए होते हैं। जैसे बड़े जीव जंतु अपना जीवन यापन करने के लिए अपने से छोटे जियो का शिकार करते हैं।
मनुष्य भी अपना जीवन यापन करने के लिए दूसरों पर निर्भर होते हैं इन सब चीजों को हम पर्यावरण के अंतर्गत रख सकते हैं। हज लोगों में जागरूकता होने के बावजूद भी कहीं ना कहीं पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
जितनी आधुनिकता बढ़ती जा रही है पर्यावरण की सुरक्षा को मानव दरकिनार कर देते हैं। वहीं इसकी सुरक्षा के लिए भी कई योजनाएं बनाई गई हैं।


पर्यावरण पर निबंध- पर्यावरण संरक्षण पर निबंध

र्यावरण संरक्षण

"प्रकृति की देखभाल का अर्थ है वास्तव में लोगों की देखभाल करना। हम वह आखिरी पीढ़ी हैं, जो पृथ्वी और उसके निवासियों को होने वाली अपूरणीय क्षति से बचा सकते हैं। हम इस समय दोराहे पर खड़े हैं। यह वह समय है, जब हमें यह तय करना है कि हम किस मार्ग पर चलेंगे, जिससे हम वैश्विक तापमान में वृद्धि के ऐसे मुकाम पर न पहुंच जाएं जहां से लौटना असंभव हो।"

............मरिया फर्नांडा एस्पिनोसा (पूर्व संयुक्त राष्ट्र महासभा अध्यक्ष)

पर्यावरण-संरक्षण

पर्यावरण शब्द का निर्माण दो शब्दों से हुआ है, "परि" जो हमारे चारों ओर हैं "आवरण" जो चारों ओर से घेरे हुए हैं। अर्थात पर्यावरण उन सभी भौतिक, रासायनिक एवं जैविक तत्वों की एकीकृत इकाई है जो परितंत्रीय जनसंख्या को घेरे हुए हैं तथा उस जनसंख्या के रूप, जीवन आदि कारकों को प्रभावित करती हैं। एक स्वस्थ जीवन जीने के लिए स्वस्थ पर्यावरण सबसे अधिक आवश्यक है।


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