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Showing posts from September, 2021

सीमा रेखाएं - प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय सीमाएँ --

✍ सीमा रेखाएं - प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय सीमाएँ -- ------------------- √√ रेखा का नाम – डूरंड रेखा (Durand Line) ● किसके बीच – पाकिस्तान तथा अफगानिस्तान ● 1886 में सर मार्टिमर डूरंड द्वारा निर्धारित। ----------------------- √√ रेखा का नाम – मैकमोहन रेखा (Macmahon Line) ● किसके बीच – भारत तथा चीन ● 1120 किमी. लंबी यह रेखा सर हेनरी मैकमोहन द्वारा निर्धारित की गई थी। लेकिन चीन इसे स्वीकार नहीं करता। ----------------------- √√ रेखा का नाम – रेडक्लिफ रेखा (Radcliffe Line) ● किसके बीच – भारत तथा पाकिस्तान ● 1947 में भारत-पाकिस्तान सीमा आयोग के अध्यक्ष सर सायरिल रेडक्लिफ द्वारा निर्धारित। ------------------------ √√ रेखा का नाम – 17 वीं समानांतर रेखा (17th Parallel) ● किसके बीच – उत्तरी वियतनाम तथा द. वियतनाम ● वियतनाम के एकीकरण के पहले यह देश को दो भागों में बांटती थी। ----------------------- √√ रेखा का नाम – 24 वीं समानांतर रेखा (24th Parallel) ● किसके बीच – भारत तथा पाकिस्तान ● पाकिस्तान के अनुसार कच्छ क्षेत्र का यह रेखा सही निर्धारण करती है लेकिन भारत इस रेखा को स्वीकार नहीं करता है। -------

सामान्य ज्ञान- Competition Exam

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अधजल गगरी छलकत जाए --

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  ऐसा क्यों कहा जाता है कि किसी इंसान की औकात जाननी हो तो एक नज़र उसके जूते पर‌ डालनी चाहिए? अधजल गगरी छलकत जाए --- जीवन की चकाचोंध किसी व्यक्ति के रहनसहन के स्तर या उसके शौक मौज की झलक शायद हमे दे जाए मगर इंसान की औकात तो उसके कर्मो से ही झलकती है, उसके हृदय की विराटता और उसके स्वभाव की सरलता में नज़र आती है। मैंने , कुशाभाऊ ठाकरे , प्यारेलाल खंडेलवाल , नानाजी देशमुख , मामा बालेश्वर दयाल , को नज़दीक से देखा है ,ये सभी बेहद साधारण सी पोशाख में ही रहा करते थे। फिर विनोबा भावे , जयप्रकाश नारायण भी साधारण सी वेशभूषा में ही रहते थे। फिर गत कई वर्षो से पद्म पुरुस्कारो की सूची को देखे तो पाएंगे इनमे से ज्यादातर एक साधारण जिंदगी जीते है। कइयों के पास पहनने के लिए ठीक ढंग के जूते भी नहीं है , मगर इससे उनकी गरिमा कम नहीं होती और न उनका महत्त्व कम होता है। कोई तामझाम नहीं , कोई लावा-लश्कर नहीं , सिर्फ उनके चेहरे पर उनकी ईमानदारी, लगन और मेहनत की आभा ही उनकी पहचान है