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एक माँ की कहानी

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पत्नी बार बार मां पर इल्जाम लगाए जा रही थी और पति बार बार उसको अपनी हद में रहने की कह रहा था लेकिन पत्नी चुप होने का नाम ही नही ले रही थी व् जोर जोर से चीख चीखकर कह रही थी कि "उसने अंगूठी टेबल पर ही रखी थी और तुम्हारे और मेरे अलावा इस कमरें मे कोई नही आया अंगूठी हो ना हो मां जी ने ही उठाई है।। बात जब पति की बर्दाश्त के बाहर हो गई तो उसने पत्नी के गाल पर एक जोरदार तमाचा दे मारा अभी तीन महीने पहले ही तो शादी हुई थी । पत्नी से तमाचा सहन नही हुआ वह घर छोड़कर जाने लगी और जाते जाते पति से एक सवाल पूछा कि तुमको अपनी मां पर इतना विश्वास क्यूं है..?? तब पति ने जो जवाब दिया उस जवाब को सुनकर दरवाजे के पीछे खड़ी मां ने सुना तो उसका मन भर आया पति ने पत्नी को बताया कि "जब वह छोटा था तब उसके पिताजी गुजर गए मां मोहल्ले के घरों मे झाडू पोछा लगाकर जो कमा पाती थी उससे एक वक्त का खाना आता था मां एक थाली में मुझे परोसा देती थी और खाली डिब्बे को ढककर रख देती थी और कहती थी मेरी रोटियां इस डिब्बे में है बेटा तू खा ले मैं भी हमेशा आधी रोटी खाकर कह देता था कि मां मेरा पेट

क्या कुछ कहेगे

अलगाव वादी नेता यासीन मालिक का वयान "कश्मीर में हम किसी हिन्दू को नही बसने देगे" क्या देश के सेकुलर नेता कुछ कहेगें। क्या सेकुलरजिम के देकेदार राहुल गांधी नीतेश जी केजरीवाल जी लालू जी या नेताजी कुछ कहेगें नही।

आखिर क्यों लड़ते हो

Read it..   like it..    share it... ,,( jai) मालूम नही किसने लिखा है, पर क्या खूब लिखा है.. नफरतों का असर देखो, जानवरों का बटंवारा हो गया, गाय हिन्दू हो गयी ; और बकरा मुसलमान हो गया. मंदिरो मे हिंदू देखे, मस्जिदो में मुसलमान, शाम को जब मयखाने गया ; तब जाकर दिखे इन्सान. ये पेड़ ये पत्ते ये शाखें भी परेशान हो जाएं अगर परिंदे भी हिन्दू और मुस्लमान हो जाएं सूखे मेवे भी ये देख कर हैरान हो गए न जाने कब नारियल हिन्दू और खजूर मुसलमान हो गए.. न मस्जिद को जानते हैं , न शिवालों को जानते हैं जो भूखे पेट होते हैं, वो सिर्फ निवालों को जानते हैं. अंदाज ज़माने को खलता है. की मेरा चिराग हवा के खिलाफ क्यों जलता है...... मैं अमन पसंद हूँ , मेरे शहर में दंगा रहने दो... लाल और हरे में मत बांटो, मेरी छत पर तिरंगा रहने दो.... जिस तरह से धर्म मजहब के नाम पे हम रंगों को भी बांटते जा रहे है कि हरा मुस्लिम का है और लाल हिन्दू का रंग है तो वो दिन दूर नही जब सारी की सारी हरी सब्ज़ियाँ मुस्लिमों की हों जाएँगी और हिंदुओं के हिस्से बस टमाटर,गाजर और चुकुन्दर ही आएंगे! अब ये समझ नहीं आ