आखिर क्यों लड़ते हो

Read it..   like it..    share it... ,,( jai)
मालूम नही किसने लिखा है, पर क्या खूब लिखा है..
नफरतों का असर देखो,
जानवरों का बटंवारा हो गया,
गाय हिन्दू हो गयी ;
और बकरा मुसलमान हो गया.
मंदिरो मे हिंदू देखे,
मस्जिदो में मुसलमान,
शाम को जब मयखाने गया ;
तब जाकर दिखे इन्सान.
ये पेड़ ये पत्ते ये शाखें भी परेशान हो जाएं
अगर परिंदे भी हिन्दू और मुस्लमान हो जाएं
सूखे मेवे भी ये देख कर हैरान हो गए
न जाने कब नारियल हिन्दू और
खजूर मुसलमान हो गए..
न मस्जिद को जानते हैं , न शिवालों को जानते हैं
जो भूखे पेट होते हैं, वो सिर्फ निवालों को जानते हैं.
अंदाज ज़माने को खलता है.
की मेरा चिराग हवा के खिलाफ क्यों जलता है......
मैं अमन पसंद हूँ , मेरे शहर में दंगा रहने दो...
लाल और हरे में मत बांटो, मेरी छत पर तिरंगा रहने
दो....
जिस तरह से धर्म मजहब के नाम पे हम रंगों को भी
बांटते जा रहे है
कि हरा मुस्लिम का है
और लाल हिन्दू का रंग है
तो वो दिन दूर नही
जब सारी की सारी
हरी सब्ज़ियाँ मुस्लिमों की हों
जाएँगी
और
हिंदुओं के हिस्से बस टमाटर,गाजर और चुकुन्दर ही
आएंगे!
अब ये समझ नहीं आ रहा कि ये तरबूज किसके
हिस्से में आएगा ?
ये तो बेचारा ऊपर से मुस्लमान और अंदर से हिंदू ही
रह जायेगा...

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

DSSSB VACANCY II dsssb vacancies II dsssb vacancy 2020 II

क्रषि व इसकी विधियां