Posts

Showing posts from December, 2015

तीन ज्ञानवर्धक प्रेरक प्रसंग

छोटी-छोटी घटनाएं कई बार बहुत बड़ी सीख दे जाती हैं। आज हम आपके साथ ऐसे ही तीन प्रेरक प्रसंग share कर रहे हैं जो हमें बहुत अच्छी सीख देते हैं। प्रेरक प्रसंग १ –  स्वर्ग- नरक  शास्त्रों में निपुण, प्रसिद्ध ज्ञानी एवं प्रख्यात संत श्री देवाचार्य के शिष्य का नाम महेन्द्रनाथ था। एक शाम महेन्द्रनाथ अपने साथियों के साथ उद्यान में टहल रहे थे। और आपस में वे किसी विषय पर चर्चा कर रहे थे। चर्चा का विषय था- स्वर्ग-नरक। किसी एक साथी ने महेन्द्रनाथ से पूछा- “क्यों मित्र! क्या मैं स्वर्ग जाऊंगा?” महेन्द्रनाथ ने उत्तर देते हुए कहा- “जब मैं जायेगा, तभी आप स्वर्ग जाओगे।” उसके मित्र ने सोचा कि महेन्द्रनाथ को अभिमान हो गया है और सारे मित्रों ने मिलकर महेन्द्रनाथ की शिकायत अपने गुरु श्री देवाचार्य से कर दी। गुरुदेव को पता था कि उनका शिष्य महेन्द्रनाथ न केवल निरहंकारी है बल्कि अल्प शब्दों में गंभीर ज्ञान की बातें बोलने वाला है। उन्होंने महेन्द्रनाथ को बुलाकर इस घटना के बारे में पूछा, और उसने अपना सिर हिलाकर इस बात की पुष्टि की। अन्य शिष्यों में इस घटना को देखने के बाद कानाफूसी शुरू हो गयी। श्री द

माँ की ममता – एक भावुक कहानी

एक छोटे से कसबे में समीर नाम का एक लड़का रहता था। बचपन में ही पिता की मृत्यु हो जाने के कारण परिवार की आर्थिक स्थिति बड़ी दयनीय थी, समीर की माँ कुछ पढ़ी-लिखी ज़रुर थीं लेकिन उतनी पढाई से नौकरी कहाँ मिलने वाली थी सो घर-घर बर्तन मांज कर और सिलाई-बुनाई का काम करके किसी तरह अपने बच्चे को पढ़ा-लिखा रही थीं। समीर स्वाभाव से थोड़ा शर्मीला था और अक्सर चुप-चाप बैठा रहता था। एक दिन जब वो स्कूल से लौटा तो उसके हाथ में एक लिफाफा था। उसने माँ को लिफाफा पकड़ाते हुए कहा, “माँ, मास्टर साहब ने तुम्हारे लिए ये चिट्ठी भेजी है, जरा देखो तो इसमें क्या लिखा है?” माँ ने मन ही मन चिट्ठी पढ़ी और मुस्कुरा कर बोलीं, “बेटा, इसमें लिखा है कि आपका बेटा काफी होशियार है, इस स्कूल के बाकी बच्चों की तुलना में इसका दिमाग बहुत तेज है और हमारे पास इसे पढ़ाने लायक शिक्षक नहीं हैं, इसलिए कल से आप इसे किसी और स्कूल में भेजें। ” यह बात सुन कर समीर को स्कूल न जा सकने का दुःख तो हुआ पर साथ ही उसका मन आत्मविश्वास से भर गया कि वो कुछ ख़ास है और उसकी बुद्धि तीव्र है। माँ, ने उसका दाखिला एक अन्य स्कूल में करा दिया। समय बीतन