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Showing posts from July, 2015

जिंदगी जरा हट के

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आज भी जब कभी अपने अतीत के पन्नो को टटोलता हूँ, तो कुछ पन्नो को मैं बड़े प्यार से खोलता हूँ इन पन्नो से मेरी साँसे जुडी हैं इन्ही पे मेरी शरारते लिखी हैं ! सुबह हुई नहीं कि दिमाग़ मे शरारत का मीटर भागना शुरू! शरारत मे मैं अपने मोहल्ले का था गुरु! घर हो या बाहर स्कूल हो या बाजार मैं शैतानी के मौके तलाशता किसी के कपड़ो पे स्याही गिराता तो चोरी से किसे का नाश्ता खा जाता ! भाई-बहन की कापियाँ बड़ी चालाकी से छुपा देता वो ढूँढ़ कर परेशन होते मैं मन ही मन हँसता बाद मे उन्हे जब लाकर देता बदले मे उनकी पेंसिल ले लेता ! छुटकी के जन्म दिन पर माँ बड़ा सा केक लाई थी बड़े चाकू से काटने को उसने आस लगाई थी, केक काटने के वक़्त उसका मुँह खुला रह गया था, क्योंकि आधा केक मैं पहले ही चट कर गया था! स्कूल मे एक अकडू बच्चे के बस्ते मे रख दिया था साँप नकली हो गयी हालत उसकी पतली साँप-साँप चिल्लाकर भागा उस दिन से वो हो गया सीधा! और वो पड़ोस के नंदू को एक दिन बरफी खिलाई थी दो बरफी के बीच मे मैंने मिर्ची की परत लगाई थी जैसे ही उसने एक टुकड़ा अपने मुँह मे डाला था , थू-थू कर के व

एक रोटी लघु कहानी

तीन व्यक्ति एक सिद्ध गुरु से दीक्षा प्राप्त कर वापस लौट रहे थे . गुरु जी ने उन्हें आध्यात्मिक ज्ञान के साथ – साथ व्यवहारिक होने की भी सीख दी थी . तीनो तमाम ग्रंथो , पुराणों पर चर्चा करते आगे बढ़ते जा रहे थे . बहुत समय चलने के बाद उन्हें एहसास हुआ कि अब उन्हें कहीं विश्राम करना चाहिए और रात गुजार कर ही आगे बढ़ना चाहिए। वे एक जगह रुके और खाने की पोटली खोली … पर दुर्भाग्यवश उसमे एक ही रोटी बची थी . तीनो ने सोचा कि इसे बाँट कर खाने से किसी की भूख नहीं मिटेगी …अच्छा होगा कि कोई एक ही इसे खा ले . पर वो एक व्यक्ति कौन हो ये कैसे पता चले ? चूँकि वे आध्यात्मिक अनुभव कर लौट रहे थे इसलिए तीनो ने तय किया कि इसका निर्णय वे भगवान पर छोड़ देंगे … भगवान ही कुछ ऐसा इशारा करेंगे कि समझ में आ जायेगा कि रोटी किसे कहानी चाहिए . और ऐसा सोच कर वे तीनो लेट गए , थके होने के कारण जल्द ही सबकी आँख लग गयी . जब अगली सुबह वे उठे तो पहले व्यक्ति ने कहा , “कल रात मेरे सपने में एक देवदूत आये , वे मुझे स्वर्ग की सैर पर ले गए … सचमुच इससे पहले मैंने कभी ऐसे दृश्य नहीं देखे थे … असीम शांति , असीम सौंदर्य … मैंने हर ज

बिल्ली की कहानी

एक महात्माजी अपने कुछ शिष्यों के साथ जंगल में आश्रम बनाकर रहते थें, एक दिन कहीं से एक बिल्ली का बच्चा रास्ता भटककर आश्रम में आ गया । महात्माजी ने उस भूखे प्यासे बिल्ली के बच्चे को दूध-रोटी खिलाई  । वह बच्चा वहीं आश्रम में रहकर पलने लगा । लेकिन उसके आने के बाद महात्माजी को एक समस्या उत्पन्न हो गयी कि जब वे सायं ध्यान में बैठते तो वह बच्चा कभी उनकी गोद में चढ़ जाता, कभी कन्धे या सिर पर बैठ जाता । तो महात्माजी ने अपने एक शिष्य को बुलाकर कहा देखो मैं जब सायं ध्यान पर बैठू, उससे पूर्व तुम इस बच्चे को दूर एक पेड़ से बॉध आया करो। अब तो यह नियम हो गया, महात्माजी के ध्यान पर बैठने से पूर्व वह बिल्ली का बच्चा पेड़ से बॉधा जाने लगा । एक दिन महात्माजी की मृत्यु हो गयी तो उनका एक प्रिय काबिल शिष्य उनकी गद्दी पर बैठा । वह भी जब ध्यान पर बैठता तो उससे पूर्व बिल्ली का बच्चा पेड़ पर बॉधा जाता । फिर एक दिन तो अनर्थ हो गया, बहुत बड़ी समस्या आ खड़ी हुयी कि बिल्ली ही खत्म हो गयी। सारे शिष्यों की मीटिंग हुयी, सबने विचार विमर्श किया कि बड़े महात्माजी जब तक बिल्ली पेड़ से न बॉधी जाये, तब तक ध्यान पर नहीं बैठ

What is Digital India?

What is Digital India? Digital India is a Programme to prepare India for a knowledge future.   Hon'ble Shri Narender Modi, Prime Minsiter of India has laid emphasis on National e- governance plan and has gave it’s approval for Digital India – A programme to transform India into digital empowered society and knowledge economy.   Digital India is an ambitious programme of Government of India projected at Rs 1,13,000 crores. This will be for preparing the India for the knowledge based transformation and delivering good governance to citizens by synchronized and co-ordinated engagement with both Central Government and State Government.   This programme has been envisaged by Department of Electronics and Information Technology (DeitY) and will impact ministry of communications & IT, ministry of rural development, ministry of human resource development, ministry of health and others. This programme will also benefit all states and union territories. The existing/ ongoing

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