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Showing posts from 2015

तीन ज्ञानवर्धक प्रेरक प्रसंग

छोटी-छोटी घटनाएं कई बार बहुत बड़ी सीख दे जाती हैं। आज हम आपके साथ ऐसे ही तीन प्रेरक प्रसंग share कर रहे हैं जो हमें बहुत अच्छी सीख देते हैं। प्रेरक प्रसंग १ –  स्वर्ग- नरक  शास्त्रों में निपुण, प्रसिद्ध ज्ञानी एवं प्रख्यात संत श्री देवाचार्य के शिष्य का नाम महेन्द्रनाथ था। एक शाम महेन्द्रनाथ अपने साथियों के साथ उद्यान में टहल रहे थे। और आपस में वे किसी विषय पर चर्चा कर रहे थे। चर्चा का विषय था- स्वर्ग-नरक। किसी एक साथी ने महेन्द्रनाथ से पूछा- “क्यों मित्र! क्या मैं स्वर्ग जाऊंगा?” महेन्द्रनाथ ने उत्तर देते हुए कहा- “जब मैं जायेगा, तभी आप स्वर्ग जाओगे।” उसके मित्र ने सोचा कि महेन्द्रनाथ को अभिमान हो गया है और सारे मित्रों ने मिलकर महेन्द्रनाथ की शिकायत अपने गुरु श्री देवाचार्य से कर दी। गुरुदेव को पता था कि उनका शिष्य महेन्द्रनाथ न केवल निरहंकारी है बल्कि अल्प शब्दों में गंभीर ज्ञान की बातें बोलने वाला है। उन्होंने महेन्द्रनाथ को बुलाकर इस घटना के बारे में पूछा, और उसने अपना सिर हिलाकर इस बात की पुष्टि की। अन्य शिष्यों में इस घटना को देखने के बाद कानाफूसी शुरू हो गयी। श्री द

माँ की ममता – एक भावुक कहानी

एक छोटे से कसबे में समीर नाम का एक लड़का रहता था। बचपन में ही पिता की मृत्यु हो जाने के कारण परिवार की आर्थिक स्थिति बड़ी दयनीय थी, समीर की माँ कुछ पढ़ी-लिखी ज़रुर थीं लेकिन उतनी पढाई से नौकरी कहाँ मिलने वाली थी सो घर-घर बर्तन मांज कर और सिलाई-बुनाई का काम करके किसी तरह अपने बच्चे को पढ़ा-लिखा रही थीं। समीर स्वाभाव से थोड़ा शर्मीला था और अक्सर चुप-चाप बैठा रहता था। एक दिन जब वो स्कूल से लौटा तो उसके हाथ में एक लिफाफा था। उसने माँ को लिफाफा पकड़ाते हुए कहा, “माँ, मास्टर साहब ने तुम्हारे लिए ये चिट्ठी भेजी है, जरा देखो तो इसमें क्या लिखा है?” माँ ने मन ही मन चिट्ठी पढ़ी और मुस्कुरा कर बोलीं, “बेटा, इसमें लिखा है कि आपका बेटा काफी होशियार है, इस स्कूल के बाकी बच्चों की तुलना में इसका दिमाग बहुत तेज है और हमारे पास इसे पढ़ाने लायक शिक्षक नहीं हैं, इसलिए कल से आप इसे किसी और स्कूल में भेजें। ” यह बात सुन कर समीर को स्कूल न जा सकने का दुःख तो हुआ पर साथ ही उसका मन आत्मविश्वास से भर गया कि वो कुछ ख़ास है और उसकी बुद्धि तीव्र है। माँ, ने उसका दाखिला एक अन्य स्कूल में करा दिया। समय बीतन

दीजिये आपने बच्च को उच्च स्तरिय शिक्षा का अवसर

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पंचन्त्र की कहानी

वह पक्षी बहुत विचित्र था। उसका धड़ एक ही था, परंतु सिर दो थे। भारुंड़ नाम के उस पक्षी के दो सिर होने के कारण एकता� और तालमेल का अभाव था। दोनों एक दूसरे के विपरीत सोचते और काम करते थे। दो सिर होने के कारण भारुंड के दिमाग भी दो थे। नतीजतन टांगें एक कदम पूरब की ओर चलती तो अगला कदम पश्चिम की ओर। ऐसे मं भारूंड स्वयं को वहीं खड़ा पाता था। भारुंड का जीवन दो दिमागों के बीच रस्साकशी बनकर रह गया था। एक दिन भारुंड भोजन की तलाश में नदी तट पर धूम रहा था कि एक सिर को नीचे गिरा एक फल नजर आया। उसने चोंच मारकर चखा तो जीभ चटकाने लगा। बोला 'वाह! ऐसा स्वादिष्ट फल तो मैंने आज तक कभी नहीं खाया।' 'जरा मैं भी तो चखकर देखूं।' कहकर दूसरे ने उस फल की ओर चोंच बढाई ही थी कि पहले सिर ने झटककर दूसरे सिर को दूर फेंका और बोला 'अपनी चोंच दूर ही रख। यह फल मुझे मिला है और इसे मैं ही खाऊंगा।' 'अरे! हम दोनों एक ही शरीर के भाग हैं। खाने-पीने की चीजें तो हमें बांटकर खानी चाहिए।' दूसरे सिर ने दलील दी। पहला सिर कहने लगा 'ठीक! हम एक शरीर के भाग हैं। पेट हमार एक ही है। मैं इस फल को खाऊंगा,

INDIAN OLDEST COINS

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this is very old . i like to collect the old coins.

Condition of Private Teachers

Private Teachers यादि इस प्रकार से ही प्राइवेट teacher की सैलरी रही तोह वो दिन दूर नहीं जब युवा नवयुवक भी teaching में अपना भविष्य बनाने से दूर हटेंगे। और भारत में शिक्षकों की कमी होने लगगी । बहुत कम ही नवयुवक बी.एड , बी टी सी को चुनते है। पर प्राइवेट स्कूलों में उनका क्या हाल होता है आप सभी जानते हो। हम शिक्षण कार्य इसलिए चुनते है क्योंकि इस कार्य में सम्मान मिलता है। परंतु सैलरी का क्या । आज के युग में खर्चा अच्छी सैलरी से चलता है। और रही सम्मान की बात तोह आप जानते हो हमारे स्कूलों का manegment कैसा है।

दीपावली पर जयदा से जयदा दीपक जलाएँ

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अपनी एक किरण से अन्धकार को चीरता हुआ प्रकाश फैलाने वाला दीपक प्रतिदिन जलता है और जलाया जाता है। त्याग की प्रतिमूर्ति दीपक को लगभग हर घर में पूजन व अर्चन के दौरान प्रज्जवलित किया जाता है। भगवान गणेश की कृपा पाने के लिए तीन बत्तियों वाला दीपक जलानें से मनोकामनायें पूर्ण होती है। यदि आप मां लक्ष्मी की आराधना करते हैं और चाहते हैं कि उनकी कृपा आप पर बरसे तो उसके लिए आपको सातमुखी दीपक जलायें। यदि आपका सूर्य ग्रह कमजोर है तो उसे बलवान करने के लिए, आदित्य ह्रदय स्त्रोत का पाठ करें और साथ में सरसों के तेल का दीपक जलायें। आर्थिक लाभ पाने के लिए आपको नियमित रूप से शुद्ध देशी गाय के घी का दीपक जलाना चाहिए। शत्रुओं व विरोधियों के दमन हेतु भैरव जी के समक्ष सरसों के तेल का दीपक जलाने से लाभ होगा। शनि की साढ़ेसाती व ढैय्या से पीड़ित लोग शनि मन्दिर में शनि स्त्रोत का पाठ करें और सरसों के तेल का दीपक जलायें। पति की आयु व अरोग्यता के लिए महुये के तेल का दीपक जलाने से अल्पायु योग भी नष्ट हो जाता है। शिक्षा में सफलता पाने के लिए सरस्वती जी की आराधना करें और दो मुखी घी वाला दीपक जलाने से अनुकूल परिणाम आते ह

ओजोन परत

ना ही गर्मी गर्म और ना ही सर्दी सर्द है............. ओजोन का बढ़ता सुराख़ मानव का सिरदर्द है........ तेजाब बरसाते बदल रो रो कर तुमसे कहते हैं .......... ये बारिश की बूंदे नहीं आसमान का दर्द है

बदलाव

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बूढ़े  दादा  जी  को  उदास  बैठे  देख  बच्चों  ने  पूछा , “क्या  हुआ  दादा  जी  , आज  आप  इतने  उदास  बैठे  क्या  सोच  रहे  हैं ?” “कुछ  नहीं  , बस  यूँही  अपनी  ज़िन्दगी  के  बारे  में  सोच  रहा  था !”, दादा  जी बोले . “जरा  हमें  भी  अपनी  लाइफ  के  बारे  में  बताइये  न …”, बच्चों  ने  ज़िद्द्द  की . दादा  जी कुछ देर सोचते रहे और फिर बोले , “ जब  मैं  छोटा  था  , मेरे  ऊपर  कोई  जिम्मेदारी  नहीं  थी , मेरी  कल्पनाओं  की  भी  कोई  सीमा  नहीं  थी …. मैं  दुनिया  बदलने  के  बारे  में  सोचा  करता  था … जब  मैं  थोड़ा  बड़ा  हुआ  …बुद्धि  कुछ  बढ़ी ….तो  सोचने  लगा  ये  दुनिया  बदलना  तो  बहुत  मुश्किल काम है …इसलिए  मैंने  अपना  लक्ष्य  थोड़ा  छोटा  कर  लिया … सोचा  दुनिया  न  सही  मैं  अपना  देश  तो  बदल  ही  सकता  हूँ . पर  जब  कुछ  और  समय  बीता , मैं  अधेड़  होने  को  आया  … तो  लगा  ये  देश  बदलना  भी  कोई  मामूली बात  नहीं  है …हर कोई ऐसा नहीं कर सकता है …चलो  मैं  बस  अपने  परिवार  और  करीबी  लोगों  को  बदलता  हूँ … पर  अफ़सोस  मैं  वो  भी  नहीं  कर  पाया . और  अब 

गुलाम की सीख Hindi Kahani

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दास प्रथा के दिनों में एक मालिक के पास अनेकों गुलाम हुआ करते थे। उन्हीं में से एक था लुक़मान। लुक़मान था तो सिर्फ एक गुलाम लेकिन वह बड़ा ही चतुर और बुद्धिमान था। उसकी ख्याति दूर दराज़ के इलाकों में फैलने लगी थी। एक दिन इस बात की खबर उसके मालिक को लगी, मालिक ने लुक़मान को बुलाया और कहा- सुनते हैं, कि तुम बहुत  बुद्धिमान हो। मैं तुम्हारी बुद्धिमानी की परीक्षा लेना चाहता हूँ। अगर तुम इम्तिहान में पास हो गए तो तुम्हें गुलामी से छुट्टी दे दी जाएगी। अच्छा जाओ, एक मरे हुए बकरे को काटो और उसका जो हिस्सा बढ़िया हो, उसे ले आओ। लुक़मान ने आदेश का पालन किया और मरे हुए बकरे की जीभ लाकर मालिक के सामने रख दी। कारण पूछने पर कि जीभ ही क्यों लाया ! लुक़मान ने कहा- अगर शरीर में जीभ अच्छी हो तो सब कुछ अच्छा-ही-अच्छा होता है। मालिक ने आदेश देते हुए कहा- “अच्छा! इसे उठा ले जाओ और अब बकरे का जो हिस्सा बुरा हो उसे ले आओ।” लुक़मान बाहर गया, लेकिन थोड़ी ही देर में उसने उसी जीभ को लाकर मालिक के सामने फिर रख दिया। फिर से कारण पूछने पर लुक़मान ने कहा- “अगर शरीर में जीभ अच्छी नहीं तो सब बुरा-ही-बु

पुराना रिवाज़ Motivational Hindi Story

रेगिस्तान के बीच बसे एक शहर में फलों की बहुत कमी थी . भगवान ने अपने दूत को भेजा कि जाओ और लोगों से कह दो कि हो सके तो वो एक दिन में बस एक ही फल खाएं . सभी लोग ऐसा ही करने लगे . Fruits फलपीढ़ी दर पीढ़ी ऐसा ही होता चला आया और वहां का पर्यावरण संरक्षित हो गया . चूँकि बचे हुए फलों के बीजों से और भी पेड़ निकल आते , कुछ दशकों में ही पूरा शहर हरा-भरा हो गया . अब वहां फलों की कोई कमी नहीं थी लेकिन अभी भी लोग एक दिन में बस एक ही फल खाने का पुराना रिवाज़ मानते थे – वे अपने पुरखों द्वारा दी गयी नसीहत के प्रति अभी भी वफादार थे . दूसरे शहर वाले उनसे बचे हुए फलों को देने का आग्रह करते पर उन्हें लौटा दिया जाता . नतीजतन टनो – टन फल बर्बाद हो जाते और सड़कों पर इधर -उधर बिखरे पड़े रहते . भगवान ने एक और दूत को बुलाया और कहा , ” जाओ नगर वासियों से कह दो कि वो अब जितना चाहें उतने फल कहें और बचे हुए फलों को बाकी शहरों को दे दें . ” दूत यही सन्देश लेकर शहर पहुंचा लेकिन उसे पत्थरों से मार गया और शहर से दूर भगा दिया गया . लोगों के दिलो -दिमाग में पुरानी बात इतनी बैठ चुकी थी कि उससे अलग वो किसी भी बात

अंगूठी की कीमत Hindi Kahani

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एक नौजवान शिष्य अपने गुरु के पास पहुंचा और बोला , ” गुरु जी एक बात समझ नहीं आती , आप इतने साधारण वस्त्र क्यों पहनते हैं …इन्हे देख कर लगता ही नहीं कि आप एक ज्ञानी व्यक्ति हैं जो सैकड़ों शिष्यों को शिक्षित करने का महान कार्य करता है . गुरु जी मुस्कुराये . फिर उन्होंने अपनी ऊँगली से एक अंगूठी निकाली और शिष्य को देते हुए बोले , ” मैं तुम्हारी जिज्ञासा अवश्य शांत करूँगा लेकिन पहले तुम मेरा एक छोटा सा काम कर दो … इस अंगूठी को लेकर बाज़ार जाओ और किसी सब्जी वाले या ऐसे ही किसी दुकानदार को इसे बेच दो … बस इतना ध्यान रहे कि इसके बदले कम से कम सोने की एक अशर्फी ज़रूर लाना .” शिष्य फ़ौरन उस अंगूठी को लेकर बाज़ार गया पर थोड़ी देर में अंगूठी वापस लेकर लौट आया . “क्या हुआ , तुम इसे लेकर क्यों लौट आये ?”, गुरु जी ने पुछा . ” गुरु जी , दरअसल , मैंने इसे सब्जी वाले , किराना वाले , और अन्य दुकानदारों को बेचने का प्रयास किया पर कोई भी इसके बदले सोने की एक अशर्फी देने को तैयार नहीं हुआ …” गुरु जी बोले , ” अच्छा कोई बात नहीं अब तुम इसे लेकर किसी जौहरी के पास जाओ और इसे बेचने की कोशिश करो …”

Teacher day greeting card

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This greeting card is given me by a student.

यदि आप प्राइवेट स्कूलों कि मनमानी से परेशान हैं

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आप शिकायत कर सकते है इस मेल ई. डी पर

गन्दा तालाब

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फ्रेडी मेंढक एक तालाब के पास से गुजर रहा था , तभी उसे किसी की दर्द भरी आवाज़ सुनाई दी . उसने रुक के देखा तो फ्रैंक नाम का एक मेंढक उदास बैठा हुआ था . ” क्या हुआ , तुम इतने उदास क्यों हो ?” , फ्रेडी ने पुछा . ” देखते नहीं ये तालाब कितना गन्दा है …यहाँ ज़िन्दगी कितनी कठिन है ,” फ्रैंक ने बोलना शुरू किया , “पहले यहाँ इतने सारे कीड़े-मकौड़े हुआ करते थे …पर अब मुश्किल से ही कुछ खाने को मिल पाता है …अब तो भूखों मरने की नौबत आ गयी है .” फ्रेडी बोला , ” मैं करीब के ही एक तालाब में रहता हूँ , वो साफ़  है और वहां बहुत सारे कीड़े -मकौड़े भी मौजूद हैं , आओ तुम भी वहीँ चलो .” ” काश यहाँ पर ही खूब सारे कीड़े होते तो मुझे हिलना नहीं पड़ता .”, ” फ्रैंक मायूस होते हुए बोला . फ्रेडी ने समझाया , “लेकिन अगर तुम वहां चलते हो तो तुम पेट भर के कीड़े खा सकते हो !” ” काश मेरी जीभ इतनी लम्बी होती कि मैं यहीं बैठे -बैठे दूर -दूर तक के कीड़े पकड़ पाता …और मुझे यहाँ से हिलना नहीं पड़ता ..”, फ्रैंक हताश होते हुए बोला . फ्रेडी ने फिर से समझाया , ” ये तो तुम भी जानते हो कि तुम्हारी जीभ कभी इतनी लम्बी

सच्ची मदद

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एक नन्हा परिंदा अपने परिवार-जनों से बिछड़ कर अपने आशियाने से बहुत दूर आ गया था । उस नन्हे परिंदे को अभी उड़ान भरने अच्छे से नहीं आता था… उसने उड़ना सीखना अभी शुरू ही किया था ! उधर नन्हे परिंदे के परिवार वाले बहुत परेशान थे और उसके आने की राह देख रहे थे । इधर नन्हा परिंदा भी समझ नहीं पा रहा था कि वो अपने आशियाने तक कैसे पहुंचे? वह उड़ान भरने की काफी कोशिश कर रहा था पर बार-बार कुछ ऊपर उठ कर गिर जाता। कुछ दूर से एक अनजान परिंदा अपने मित्र के साथ ये सब दृश्य बड़े गौर से देख रहा था । कुछ देर देखने के बाद वो दोनों परिंदे उस नन्हे परिंदे के करीब आ पहुंचे । नन्हा परिंदा उन्हें देख के पहले घबरा गया फिर उसने सोचा शायद ये उसकी मदद करें और उसे घर तक पहुंचा दें । अनजान परिंदा – क्या हुआ नन्हे परिंदे काफी परेशान हो ? नन्हा परिंदा – मैं रास्ता भटक गया हूँ और मुझे शाम होने से पहले अपने घर लौटना है । मुझे उड़ान भरना अभी अच्छे से नहीं आता । मेरे घर वाले बहुत परेशान हो रहे होंगे । आप मुझे उड़ान भरना सीखा सकते है ? मैं काफी देर से कोशिश कर रहा हूँ पर कामयाबी नहीं मिल पा रही है । अन